उत्तराखंड को कर्ज से उभारने को सीएम पुष्कर सिंह धामी का एक्शन प्लान बना है। धामी ने साफतौर से कहा कि फिजूलखर्ची पर रोक लगाने की जरूरत है। उन्होंने देहरादून में होने वाले सरकारी कार्यक्रमों का आयोजन प्राइवेट होटल और निजी स्थानों पर करवाने की रोक लगा दी ।
सीएम ने मुख्य सचिव एसएस संधू को निर्देश दिए हैं। सीएम ने कहा कि इस प्रकार के सभी कार्यक्रम सीएम कैंप आफिस के मुख्य सेवक सदन में आयोजित किए जाएं। इसीप्रकार की व्यवस्था जिला स्तर पर भी लागू करने को कहा गया है। सीएम के इस फैसले को आर्थिक अनुशासन की ओर बढ़ते कदम की तरह देखा जा रहा है।
मुख्यमंत्री धामी की यह पहल सकारात्मक संकेत देती है और अगर इसे शिद्दत से लागू कर दिया गया तो राज्य का काफी धन बचाया जा सकता है। दरअसल जिस आर्थिक अनुशासन की तरफ मुख्यमंत्री धामी ने कदम बढ़ाया है, वह कर्ज के बोझ तले दबे राज्य के लिए समय की मांग है। अगर आगे ऐसे और सख्त आर्थिक अनुशासन के कदम बढ़ाए गए तो निश्चित ही उत्तराखंड को कर्ज के बोझ से निकालने की दिशा में सार्थक शुरुआत होगी।
उत्तराखंड इस वक्त बड़े कर्ज के बोझ के तल दबा हुआ है। रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 तक राज्य पर 75 हजार करोड़ रुपये का कर्ज हो चुका था। इस हिसाब से राज्य का प्रत्येक व्यक्ति पर 65 हजार रुपये का कर्जदार है। राजस्व के ठोस स्रोत न होने की वजह से कर्ज की राशि लगातार बढ़ती जा रही है।सरकारी खर्चे को कम करने की दिशा में यह कदम उठाया गया है।
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