उत्तराखंड में पिछले चार वर्षों में अति कुपोषित बच्चों की संख्या में ढाई गुना वृद्धि हुई है। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि प्रदेश में अति कुपोषित बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है। राज्य में वर्ष 2020-21 में अति कुपोषित बच्चों की संख्या 1129 थी। अब 2024-25 में ये संख्या बढ़कर 2983 हो गई है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020-21 में कुपोषित बच्चों की संख्या 8856 और अति कुपोषित बच्चों की संख्या 1129 थी. उसके बाद 2021-22 में कुपोषित बच्चों की संख्या 7658 और अति कुपोषित बच्चों की संख्या 1119 थी. वहीं 2022-23 कुपोषित बच्चों की संख्या 6499 और अति कुपोषित बच्चों की संख्या 952 थी. साल 2023-24 कुपोषित बच्चों की संख्या 4233 और अति कुपोषित बच्चों की संख्या 992 दर्ज की गई थी. लेकिन अब 2024-25 में कुपोषित बच्चों की संख्या 8374 और अति कुपोषित बच्चों की संख्या पूरे ढाई गुना बढ़कर 2983 पहुँच गई है. बच्चों में कुपोषण का इस तरह बढ़ना एक गंभीर चिंता का विषय है।
विशेषज्ञों का कहना है कि भोजन की कमी या खराब आहार से होता है कुपोषण। बच्चे को पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलने पर भी कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार कुपोषण से बच्चे का शारीरिक व मानसिक विकास रुक जाता है। यही वजह है कि विकास के लिए विटामिन और पोषक तत्वों का सही सेवन बहुत जरूरी है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की जाती है। किसी बच्चे में कुपोषण के कारण कोई गंभीर समस्या है तो उसका निशुल्क इलाज कराया जाता है।
वर्ष | कुपोषित बच्चे | अति कुपोषित बच्चे |
2020-21 | 8856 | 1129 |
2021-22 | 7658 | 1119 |
2022-23 | 6499 | 952 |
2023-24 | 4233 | 992 |
2024-25 | 8374 | 2983 |
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