पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन में उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजनों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इस पूरे आयोजन में हम पहाड़ी व्यंजनों को बड़े फलक पर प्रस्तुत कर सकते थे, लेकिन हमने यह मौका खो दिया। उन्होंने कहा कि पूरे आयोजन में हमारे केवल दो उत्पाद मंडुवा और झंगोरा ही कहीं किनारे दुबके हुए नजर आए।
हरीश रावत ने कहा कि अच्छा होता इस आयोजन में केवल विशुद्ध उत्तराखंडी व्यंजन परोसे जाते। इसमें हरिद्वार का चावल, बुरा-घी और धुले मास की दाल सहित विभिन्न तमाम उत्पादों को शामिल किया जाता। स्वीट डिश में उत्तराखंडी जैविक गुड़ के साथ अरसा, बाल मिठाई, सिंगोड़ी और डीडीहाट का खैंचुआ, आगरा खाल की रबड़ी को स्थान मिलता।
वहीं पूर्व सीएम और कांग्रेस के सीनियर नेता हरीश रावत ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए लिखा कि आज समाचार पत्र पढ़े, एक फील गुड का आभास हो रहा है।प्रधानमंत्री ने जो बड़े पूंजीपतियों का आह्वान किया कि WED IN INDIA यह केवल ऐसा नहीं है कि भारत में शादी करो का आह्वान है, पिछले कुछ वर्षों से बहुत सारे औद्योगिक घराने अपना निवेश भारत से बाहर कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने उनको भी संदेश दिया है कि इन्वेस्ट इन इंडिया।
हरीश रावत ने आगे लिखा देखते हैं कितना असर पड़ता है। हरदा ने लिखा कि मुख्यमंत्री ने परिश्रम कर जो एक फील गुड का एहसास राज्य के लोगों को करवाया है, अब उनके मंत्रिमंडल का कौशल देखना है कि इस फील गुड के एहसास को अर्थव्यवस्था और सामाजिक कल्याण के विभिन्न क्षेत्रों में किस दूरी तक वो लेकर के जाते हैं।
हरदा ने इस बार के बजट को लेकर भी बड़ी बात करते हुए लिखा है कि मुझ जैसे लोग इस बार के प्रेमचंद अग्रवाल जी के पिटारे से निकलने वाले बजट पर बहुत गहराई से नजर रखेंगे, क्योंकि फील गुड का एहसास किस सीमा तक अर्थव्यवस्था पर असर डाल रहा है वह बजट प्रस्तावों में झलकेगा। विशेष तौर पर यह देखना पड़ेगा कि यह फील गुड का एहसास MSME सेक्टर और जो हमारे स्थानीय उत्तराखंडी उद्यमी हैं उन तक कहां तक जा रहा है। क्योंकि अनंतोगत्वा हमारी अर्थव्यवस्था के संचालक तो यही फैक्टर बनेंगे।
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