उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सुरंग में हुए भूस्खलन के बाद बचाव अभियान तीसरे दिन में प्रवेश कर गया है। निर्माणाधीन टनल में हुए भूस्खलन के बाद फंसे मजदूरों को निकालने के लिए बचाव अभियान तेजी से चल रहा है। अब ऑगर ड्रिलिंग मशीन मंगाई है, यह मशीन मलबे में 900 मिमी स्टील पाइप लगाएगी। इन 900 मीटर के पाइप के जरिए सुरंग में फंसे हुए मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकलना जाएगा।
उत्तरकाशी के यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में पिछले 48 घंटों से 40 मजदूर भूस्खलन में फंसे हैं। जैसे-जैसे समय बित रहा है। अंदर फंसे मजदूरों की सांसे थमी हुई हैं। हालांकि रेस्क्यू टीम का दावा है कि अंदर पर्याप्त भोजन और ऑक्सीजन है। लेकिन जिस तरह से टनल में कई बार रेस्क्यू आपरेशन के समय बार बार मलबा आने से दिक्कत हो रही है। उससे देखते हुए अब नई प्लानिंग पर काम शुरू हो गया है।
देहरादून से ऑगर ड्रिलिंग मशीन रात में ही घटनास्थल पर पहुंचाई गई है। इसके अलावा हरिद्वार बहादराबाद से 900 एमएम के पाइप भी पहुंच गए हैं। सुरंग के भूधंसाव से अवरुद्ध हिस्से में 900 एमएम व्यास के एमएस पाइप ऑगर ड्रिलिंग मशीन से डाले जाएंगे। ये पाइप करीब 40 मीटर हिस्से में डाले जाने हैं। भूस्खलन के दायरे के अनुसार इनकी लंबाई भी बढ़ सकती है। जिससे इन पाइपों के जरिये फंसे मजदूरों को निकालने के लिए क्षैतिज ड्रिलिंग की सहायता ली जाएगी।
रेस्क्यू के लिए आइटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस व आपदा प्रबंधन की टीमें हैं। लेकिन सुरंग के अंदर मुख्य खोज बचाव का कार्य इंजीनियरों की टीम और दूसरे मजदूर ही कर रहे हैं। इन मजदूरों नेही अंदर फंसे मजदूरों से पाइप के जरिये ही बातचीत की है। अंदर खाना, दवाई और अन्य जरुरी चीजें पूछी गई है।
सुरंग का दौरा करने के बाद सचिव आपदा प्रबंधन रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा था कि फंसे हुए मजदूरों को मंगलवार रात या बुधवार तक बचाया जा सकता है। बचाव दल लगातार मलबा हटा रहा है। अब मलबे के ढेर में सुरंग तैयार करके पाइप डाला जाएगा। इसके जरिए मजदूरों को निकाला जाएगा।
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