जोशीमठ में 603 भवनों में दरारें आ चुकी हैं। डेंजर जोन में चिन्हित भवनों को सील कर दिया गया है। इसी के साथ आज एसडीआरएफ ने यहां सुई गांव में घर खाली कराने का अभियान शुरू किया तो वहीं मनोहर बाग में प्रभावितों ने खुद ही घर छोड़ने शुरू कर दिया। प्रभावित अपना सामान लेकर निकल पड़े हैं।
वहीं घर खाली करने में मदद करने के लिए एसडीआरएफ की 60 जवानों की टीम लगाई गई है। यहां करीब 500 घरों को खाली किया जाना है। हालांकि लोग घरों को छोड़ने को राजी नहीं है, इससे जिला प्रशासन की चुनौती बढ़ी है।
घर खाली नहीं करने वालों को जबरन हटाया जाएगा
जिला प्रशासन के अनुसार तीन दिन में डेंजर जोन से घर खाली नहीं करने वालों को जबरन हटाया जाएगा। उनके पुनर्वास के लिए भी व्यवस्था की गई है। जिला प्रशासन अब तक 129 परिवारों को डेंजर जोन से हटाकर पुनर्वासित कर चुका है।
खतरे के बाद भी आपदा प्रभावितों को राहत शिविर में भेजना प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है। स्थिति यह है कि खतरे के बाद भी भवन स्वामी घरों में ही जमे हैं।
डेंजर: ऐसे भवन जो बहुत ज्यादा जर्जर हैं और पूरी तरह से असुरक्षित हैं।
बफर: ऐसे भवन जिनमें हल्की दरारें हैं लेकिन उनके बढ़ने का खतरा है।
सेफ: ऐसे भवन जहां कोई दरार नहीं आई है और रहने के लिए सुरक्षित हैं।

- भवन आवासीय है या व्यावसायिक।
- भवन में रहने वाले परिवार का व्यवसाय क्या है, परिवार में कितने लोग हैं।
- डेंजर जोन में रह रहे लोगों को शिफ्ट करने से पहले पूछा जाएगा कि वे स्थायी तौर पर कहां पुनर्वास चाहेंगे।
रविवार को जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जोशीमठ नगर के मारवाड़ी वार्ड में लोगों से अपील की कि वह असुरक्षित घरों में ना रहें और सुरक्षित स्थानों पर जाएं।
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