नहाय खाय के साथ आज शुक्रवार से छठ महापर्व की शुरुआत हो गई है। चार दिवसीय महापर्व के लिए नदी के घाटों पर साफ-सफाई हो चुकी है। साथ ही छठ मैया की स्थापना कर दी गई है। प्रात:काल स्नान के बाद कद्दू और चने की दाल से बनी सब्जी के साथ चावल का भोग ग्रहण करने के बाद छठ पर्व का व्रत शुरू हुआ।
सूर्य उपासना करने से प्रसन्न होती है छठी मइया
- आचार्य डा. सुशात राज के अनुसार, मान्यताओं के अनुसार छठी मइया भगवान सूर्य की बहन है।
- इस पर्व में दोनों की पूजा की जाती है।
- छठ का व्रत कठिन माना जाता है।
- मान्यता है कि सूर्य उपासना करने से छठी मइया प्रसन्न होती है और पुत्र, दीर्घायु, परिवार को सुख शांति और धन-धान्य से परिपूर्ण करती है।
- उन्होंने बताया कि पर्व के दूसरा यानी खरना वाले दिन रात में खीर खाकर 36 घंटे के लिए कठिन व्रत रखा जाता है।
छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय
नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत होती है. इस दिन व्रती नदी या घर में स्नान करते हैं और इसके बाद छठ व्रती प्रसाद बनाना शुरू करते हैं. इस दिन सिर्फ एक ही बार खाना खाया जाता है. नहाय-खाय वाले दिन महिलाएं घर की साफ-सफाई करती हैं और इस दिन हर घर में लौकी या कद्दू की सब्जी बनती है. इस दौरान तैयार किए गए भोजन में सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है
नहाय खाय के दिन बने प्रसाद में लहसुन-प्याज का इस्तेमाल वर्जित माना जाता है. इसके अलावा बैंगन आदि सब्जियों को भी नहाय-खाय के दिन प्रसाद में शामिल नहीं किया जाता. छठ व्रती प्रसाद बनाने के बाद पहले भगवान सूर्य की आराधना करते हैं उसके बाद नहाय खाय का प्रसाद ग्रहण करते हैं. छठ व्रती के प्रसाद ग्रहण के बाद ही परिवार के अन्य सदस्य प्रसाद को ग्रहण करते हैं.
छठ पूजा नहाय-खाय के नियम
छठ पूजा के पहले दिन, जिन लोगों को व्रत रखना होता है वो सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद सूर्यदेव की पूजा करते हैं और फिर उसके बाद खाना खाते हैं. व्रती लोग इस दिन साफ-सुथरे कपड़े पहनते हैं इसके बाद सूर्य देवता के लिए प्रसाद बनाया जाता है.
छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है. इस दिन प्रसाद के तौर पर गुड और चावल की खीर बनाई जाती है. जिसे व्रती और परिवार के बाकी सदस्य खाते हैं और इसे प्रसाद के तौर पर भी बांटा जाता है. इसके बाद से 36 घंटे का व्रत शुरू हो जाता है जिसका समापन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर किया जाता है.
नहाय-खाय के दिन क्या करें और क्या नहीं
छठ पूजा से कुछ दिन पहले और पूजा के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए.
नहाय-खाय के दिन व्रती अपने दिन की शुरूआत घर की साफ-सफाई से करते हैं. इस पूरे पर्व के दौरान साफ-सफाई का खास ख्याल रखा जाता है.
नहाय-खाय के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए. स्नान के बाद ही कुछ भी खाना चाहिए. उसके बाद नारंगी सिंदूर लगाया जाता है और प्रसाद बनाने की तैयारी शुरू होती है.
खाने में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्री जैसे चावल, बीन्स, सब्जियां आदि साफ और ताजी होनी चाहिए. इस सभी चीजों को जूठे और गंदे हाथों से नहीं छूना चाहिए.
छठ पूजा का प्रसाद बनाते समय सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें लहसुन-प्याज का इस्तेमाल वर्जित होता है.
छठी मैया और सूर्य भगवान को भोग लगाने के बाद इस प्रसाद को सबसे पहले व्रती की ओर से खाया जाता है. जिसके बाद इसे परिवार के बाकी सदस्यों में बांटा जाता है.
छठ पूजा के दौरान भगवान सूर्य को दूध और जल अर्पित करना चाहिए और प्रसाद से भरे सूप से छठी माता की पूजा करना शुभ माना जाता है. रात के समय व्रत कथा सुनना न भूलें.
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