दो साल के बाद होने जा रही कांवड़ यात्रा में इस बार चार करोड़ से भी अधिक कांवड़िए आने की संभावना है। कांवड़ मेले की सुरक्षा को लेकर पुलिस मुख्यालय में एक हाई लेवल मीटिंग हुई. जिसमें उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़ के पुलिस अधिकारी वर्चुअली शामिल हुए. आज की बैठक में कांवड़ मेले की सुरक्षा और गाइडलाइंस को लेकर चर्चा की गई. कांवड़ मेला क्षेत्र को 133 सेक्टरों में बांटा जाएगा। इसकी सुरक्षा व्यवस्था के लिए तकरीबन 10 हजार से अधिक पुलिस फोर्स तैनात की जाएगी।
दूसरे राज्यों से भारी तादाद में आने वाले कांवड़ियों को किस तरह से सुरक्षा उपलब्ध कराई जा सकती है. एहतियात के तौर पर क्या-क्या कदम उठाए जा सकते हैं. इन तमाम मसलों को लेकर मीटिंग आयोजित हुई. इसमें खुफिया विभाग के अधिकारी भी शामिल रहे. पिछले दो साल से मेले में कांवड़ियों की तादाद कम रही है. ऐसे में इस बार कांवड़ियों की तादाद अधिक हो सकती है, जिसको लेकर कई राज्यों का पुलिस प्रशासन पूरी प्लानिंग कर रहा है.
बैठक में हरिद्वार के पुलिस कप्तान डीआईजी डॉ. योगेंद्र रावत ने कहा कि हरिद्वार पुलिस ने कांवड़ मेले की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिए उन्होंने प्रचार प्रसार भी शुरू कर दिया है। इसके तहत कांवड़ मेले में यातायात प्रबंधन, भीड़ नियंत्रण, यात्रा रूट पर पुलिस प्रबंध आदि की व्यवस्थाओं को देखा जा रहा है। यात्रा में लाठी डंडे, नुकीले भाले व अन्य हथियार पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेंगे। सभी थाना पुलिस और अधिकारियों को उनका एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाने को भी कहा गया है। ताकि, सूचनाओं का आदान प्रदान समय से किया जा सके।
हरिद्वार में आगामी कांवड़ मेले के दौरान नॉनवेज की दुकानों को बंद रखने के निर्देश दिए गए हैं. जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे ने अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में चल रही नॉनवेज की दुकानों को मेले के दौरान बंद रखने के सख्त निर्देश दिए हैं. निर्देशों का पालन ना करने वाले दुकानदारों से प्रशासन सख्ती से निपटेगा. दरअसल, हरिद्वार में कई प्रतिबंधित क्षेत्रों में नॉनवेज की दुकानें धड़ल्ले से चल रही हैं. कांवड़ मेले के दौरान इन दुकानों को बंद रखने की मांग हर साल उठाई जाती है. डीएम विनय शंकर पांडे का कहना है कि ड्राई एरिया में मांस और शराब की बिक्री पर रोक लगाई जाएगी.
डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि इस बार कांवड़ यात्रा 14 से 26 जुलाई को आयोजित की जा रही है। कोरोना काल के बाद यह पहली कांवड़ यात्रा है।
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