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सचिवालय-विधानसभा में सरकारी नौकरी के नाम पर फर्जी इंटरव्यू, करोड़ों की ठगी में एक गिरफ्तार-दो फरार।


उत्तराखंड के विभिन्न सरकारी विभागों मे नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधडी कर करोडों रुपये हड़पने वाले गिरोह का पटेलनगर पुलिस ने रविवार को खुलासा किया है। गिरोह के मुख्य सदस्य को गिरफ्तार किया है, जबकि दो आरोपी फरार हैं। गिरोह के सदस्यों द्वारा अलग-अलग व्यक्तियों से धोखाधडी कर बड़े स्तर पर लिये गये करोड़ों रुपये और गिरोह के सदस्य स्वयं को सचिवालय मे बड़ा अधिकारी बताकर धोखाधडी करते थे। इंटरव्यू के बाद आवेदकों को फर्जी नियुक्ति पत्र भी देते थे। पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि दो आरोपी ललित बिष्ट और मनोज नेगी फरार हैं।

वादी मनीष कुमार पुत्र श्री रामगोपाल निवासी गौशाला नदी रोड मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश ने 16/10/2021 को कोतवाली पटेलनगर  में शिकायत की जिसमें उनके द्वारा अभियुक्त कमल किशोर पाण्डेय, मनोज नेगी, चेतन पाण्डेय, ललित बिष्ट द्वारा वादी एवं वादी के सगे सम्बन्धियों की उत्तराखण्ड के सरकारी विभाग मे नौकरी दिलाने का झाँसा देकर कुल 6200000/- (बासठ लाख रुपये) की धनराशि हडपने, कमल किशोर पाण्डेय द्वारा प्रशासनिक अधिकारी व ललित बिष्ट द्वारा सचिवालय मे सचिव के पद पर व मनोज नेगी द्वारा खुद को अपर सचिव के पद पर नियुक्त बताने एवं धनराशि प्राप्त कर फर्जी नियुक्ति पत्र देना अंकित किया गया ।

जिस पर थाना पटेलनगर पर मु0अ0स0 536/2021 धारा 420/406/467/468/471 भादवि बनाम कमल किशोर पाण्डेय आदि 4 आरोपियों के विरूद्ध पंजीकृत किया गया। जिसकी विवेचना उ0नि0 श्री देवेन्द्र कुमार गुप्ता के द्वारा सम्पादित की जा रही है।  प्रकरण की गम्भीरता को देखते हुए श्री जनमेजय खण्डूरी,  पुलिस उप महानिरीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जनपद देहरादून द्वारा घटना का शीघ्र अनावरण एवं अभियुक्त गणो की गिरफ्तारी हेतु आदेश-निर्देश जारी किये गये, जिसके क्रम मे पुलिस अक्षीक्षक नगर एवं सहायक पुलिस अधीक्षक/क्षेत्राधिकारी सदर के निकट पर्यवेक्षण मे प्रभारी निरीक्षक कोतवाली पटेलनगर देहरादून द्वारा स्वंय के नेतृत्व मे अलग-अलग पुलिस टीम गठित की गई ।

पुलिस टीम द्वारा वादी व अन्य पीडित व्यक्तियों से गहनता से पूछताछ की गई । वादी/पीडितों तथा अभियुक्तगणो के मोबाइल नम्बर व बैंक खातों की जानकारी प्राप्त की गई । मोबाइल नम्बरों की कॉल डिटेल प्राप्त की गई, उनका अवलोकन करने पाया गया कि अभियुक्त गणो द्वारा घटना की तिथि को वादी / पीडितों से वार्ता की गई है एवं विभिन्न घटना स्थलो पर वादी व अभियुक्त गणो की लोकेशन एक ही स्थान पर होना पाया गया ।

अभियुक्त गणो के खातों की बैंको से लेन-देन का विवरण प्राप्त करने पर अभियुक्त गणो के खातों वादी/पीडितों द्वारा समय-समय पर लाखों रुपये जमा कराना पाया गया एवं अभियुक्त गणो के खातों से करोडों रुपये का लेन-देन होना पाया गया । अभियुक्त गणो के विरुद्व पर्याप्त साक्ष्य पाये जाने पर मुखबिर तन्त्र मजबूत करते हुए अभियुक्त गणों के सम्भावित ठिकानों पर दबिश दी गई, किन्तु अभियुक्त लगातार फरार होना पाये गये एवं मोबाइल फोन स्विच आफ होना पाये जाने पर पुलिस टीम द्वारा कडी मेहनत कर अभियुक्त गणो के परिचितों / परिजनों, दोस्तो व अन्य व्यक्तियों से अभियुक्त गणो के सम्बन्ध मे जानकारी प्राप्त की गई।

जिसके परिणाम स्वरुप कल दिनांक 30-10-2021 को गिरोह के सरगना व मुख्य आरोपी कमल किशोर पाण्डेय को त्यागी रोड संगम होटल के पास से गिरफ्तार किया गया, अभियुक्त से  गहनता से पूछताछ करने पर उसके व उसके अन्य सदस्यों द्वारा सचिवालय मे अपने आप को बडा अधिकारी बताकर कई व्यक्तियों से उत्तराखण्ड के विभिन्न सरकारी विभागो में नौकरी दिलाने के नाम पर करोडों रुपये लेना स्वीकार किया गया ।

इसके अतिरिक्त अभियुक्त कमल किशोर पाण्डेय द्वारा आवेदको को इण्टरव्यू के लिए सचिवालय व विधानसभा ले जाना एवं आवेदको को फर्जी नियुक्ति पत्र देना स्वीकार किया गया। अभियुक्त को आज मा0न्यायालय मे पेश किया जायेगा । सचिवालय/विधानसभा के अन्य लोगों की भी संलिप्तता होने की सम्भावना है।

अभियुक्त कमल किशोर पाण्डेय से पूछताछ करने पर बताया कि मैने बी-टैक की शिक्षा प्राप्त की है मैने 2015 से 2019 तक मर्चेन्ट नेवी रिक्रूटमेन्ट का काम किया है। मै ललित बिष्ट व मनोज नेगी को काफी समय से जानता हूँ । मेरा भाई सूचना विभाग मे हेड क्लर्क के पद पर नियुक्त है।  ललित बिष्ट की पत्नी पीडब्लूडी विभाग मे प्रशासनिक अधिकारी के पद पर नियुक्त है । मनोज नेगी उत्तराखण्ड जल विद्युत निगम पौडी मे सविंदा पर नियुक्त है, जिस कारण हम सभी लोगों का सचिवालय मे आना जाना लगा रहता था, हमें सचिवालय व विधानसभा की अच्छी जानकारी थी ।

मैने ललित बिष्ट व मनोज नेगी के साथ मिलकर लोगों को सरकारी नौकरी क्लर्क के पद पर लगाने का झाँसा देकर पैसा कमाने की योजना बनाई । मैं वर्ष 2018 में एक विवाह समारोह मे श्री  मनीष कुमार से मोती बाजार मे मिला,  मैने उनसे उनकी नौकरी लगवाने की बात कही, जिसके पश्चात मनीष कुमार द्वारा अपने भाई, साले व अन्य लोगो को नौकरी लगवाने के लिए कहा, जिस पर मैने मनीष कुमार व अन्य लोगों से आईएसबीटी, विधान सभा के पास कई बार मुलाकात की व प्रत्येक अभ्यर्थी की विभिन्न सरकारी विभागों मे नौकरी लगाने के एवज मे  6,50,000/- (छः लाख पचास हजार रुपये) प्रत्येक से लेना तय हुआ।

जिसके लिए मैने ललित बिष्ट व मनोज नेगी की सहायता से विभिन्न विभागों के फर्जी फार्म मनीष कुमार को भेजे और प्रति अभ्यर्थियों की नौकरी लगाने के लिए तय की गई धनराशि के हिसाब से 10 अभ्यर्थियों से 6200000/- रुपये प्राप्त किये गये जिसमें से मैने कुछ अकाउन्ट मे व कुछ नकद प्राप्त किये, इसके बाद मैने ललित बिष्ट व मनोज नेगी की सहायता से कुछ अभ्यर्थियों के सचिवालय व विधानसभा के खाली पडे केविन मे इण्टरव्यू कराये,  इण्टरव्यू मनोज नेगी सचिव बनकर व ललित बिष्ट अपर सचिव बनकर लेता था ।

इण्टरव्यू के बाद हमने फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार कर अभ्यर्थियों को दिये और उनका दून अस्पताल मे मेडिकल कराया । कुछ समय पश्चात हमारे द्वारा पद निरस्त होने का बहाना बनाया गया और उनके पैसे वापस करने में जानबूझ कर टालमटोल करते रहे । हम तीनों ने अपने हिस्सो के रुपये काम के हिसाब से बाँटे । इसके अतिरिक्त हम तीनों ने मिलकर अन्य कई लोगो से भी इसी प्रकार नौकरी लगाने के एवज मे करोड़ों रुपये लिये गये है ।

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