ॐ नमः शिवाय
श्रावण मास जिसे सावन माह भी कहते है जिसमे मुख्य रूप से शिव की आराधना का महत्व है।जिसका उल्लेख ऋग्वेद में भी किया गया है,,,
श्रावण माह में पड़ने वाले सोमवार के व्रतों का भी विशेष महत्व है जिसमे सभी अपनी मनोकामनाओ के लिए शिव का पूजन और जलाभिषेक करते है जिसमे माता और बहने विसेष इस व्रत को अपने पति की दीर्घायु के लिए ओर बहने अच्छे वर को पाने के लिए करते है,,
श्रावण मास में शिव पूजकरने के लिए दूध ,गन्ने के रस, तिल, कुशा ,घी, तेल,दही ,चीनी,शहद,ओर भी अनेक विषयों से जलाभिषेक करते है और बेलपत्र ,धतूरा,ओर भांग के पत्तो से भी मन से विस्वास से पूजन करते है जिससे अकाल मृत्यु को भो रोका जा सकता है और सभी सुखों को प्राप्त किया जाता है ।
शास्त्रों में वर्णित है कि जब श्रावण मास में जब भगवान विष्णु योग निंद्रा में चले जाते है तो समस्त भक्तो के लिए साधु संतों के लिए यह माह अमूल्य होता है जो 4 माह का होता है जिसे चतुर्मास कहते है ततपश्चात सृष्टि के सचालन का दायित्व भगवान शिव शंकर ग्रहण करते है इस लिए भी श्रावण के प्रधान देवता शिव है।।
श्रावण मास में विशेष रूप से मास मदिरा का त्याग कर देना उचित होता है
ओर ॐ नमः शिवाय मन्त्र का जाप करे,
सभी के कर्मानुसार सभी के पूजन के लिए अनेक मन्त्र है जो शिव पुराण में कहे गए है और अन्य पुराण और वेदों में प्राप्त होते है अपने श्रेठ गुरु के द्वारा हम इन्हें पा सकते है,,
महा मृतुन्जय का जाप भी अनेक कस्टो से निजात प्राप्त करता है।
इस मास में हमे सदैव भगवान का चन्दन मस्तक पर लगाना चाहिए,,,
अनेक ऐसे विषय हमे शिव पुराण और वेद और अन्य ग्रन्थों में प्राप्त होते है जिसमे सावन मास के अनेक महत्त्वो के बारे में वर्णन है जिसका सभी को अध्ययन करना चाहिए,,,
जय शिव शंकर जय श्री राम
आचार्य अनुरोध
उत्तराखण्ड
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