टिहरी लोकसभा सीट पर राजशाही का तिलिस्म नहीं टूट पा रहा है। उम्मीदवारी को लेकर सबसे अधिक शंकाओं में घिरी इस सीट पर भाजपा ने राजशाही परिवार में भरोसा जताया और माला राज्यलक्ष्मी शाह को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया।
उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने से बेशक पार्टी के भीतर एक वर्ग अचंभे में हो सकता है, लेकिन चुनावी गणित के चश्मे से केंद्रीय नेतृत्व को राजशाही परिवार की प्रतिनिधि को प्रत्याशी बनाना सबसे बेहतर विकल्प लगा। शाही परिवार से होने की वजह से माला राज्यलक्ष्मी शाह का अंदाज बाकी लोकसभा सांसदों की तुलना में जुदा रहा है
इस फैसले से पार्टी के भीतर ही एक वर्ग अचंभे में
टिहरी सीट को लेकर सबसे ज्यादा चर्चाओं के बाजार गर्म थे। माना जा रहा था कि इस सीट से बीजेपी किसी नए और युवा चेहरे को मौका दे सकती है। लेकिन बीजेपी ने राजशाही पर एक बार फिर से भरोसा जताया है। इस फैसले से पार्टी के अंदर ही एक वर्ग अचंभे में है। लेकिन पार्टी हाईकमान ने चुनावी गणित के हिसाब से ही राजशाही परिवार की प्रतिनिधि को प्रत्याशी बनाना बेहतर समझा है।
टिहरी सीट पर राजशाही परिवार का तिलिस्म ही है जिसके प्रभाव के कारण टिहरी सीट पर राजशाही परिवार 17 लोकसभा चुनावों में 11 बार जीता है। स्वतंत्रता के बाद अब तक 17 लोकसभा चुनाव में 11 बार राजशाही परिवार ने जीत हासिल की है। 1952 में पहली बार में इस सीट पर राज परिवार की कमलेंदुमति शाह निर्दलीय चुनाव जीती थीं। इसके बाद राजशाही परिवार से मानवेंद्र शाह ने 1957, 1962 और 1967 के लोकसभा चुनावों में जीते। मानवेंद्र शाह ने कांग्रेस से ये चुनाव लड़े थे।
1991 में मानवेंद्र ने शाह ने भाजपा ज्वाइन कर ली। जिसके बाद 1991 से 2004 तक हुए पांच आम चुनावों में मानवेंद्र शाह भाजपा से लगातार जीते। बता दें कि टिहरी सीट से आठ बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड राजशाही परिवार के मानवेंद्र शाह के नाम ही है। 2012 में टिहरी लोस सीट पर हुए उपचुनाव में पहली बार माला राज्यलक्ष्मी भाजपा से उम्मीदवार बनाई गईं और निर्वाचित हुईं।
सीएम ने दी माला राज्यक्ष्मी को बधाई
टिहरी लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित होने के बाद सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुख्यमंत्री आवास पर शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने पर बधाई और शुभकामनाएं दीं।
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