सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार उत्तराखंड में स्कूली बच्चों के बस्ते का बोझ कम करेगी। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने इस संदर्भ में अधिकारियों को कार्यवाही के निर्देश दे दिए हैं। इसके साथ ही, विभिन्न स्कूलों में संविदा एवं नियत वेतनमान पर तैनात महिला शिक्षकों को भी मातृत्व अवकाश का लाभ दिया जाएगा।
प्रदेश के विभिन्न विद्यालयों में तैनात संविदा व नियत वेतनमान पर कार्यरत अस्थाई शिक्षिकाओं को भी मातृत्व अवकाश का लाभ दिया जाएगा। मंत्री ने कहा, राज्य के सभी विद्यालयों में बच्चों के बस्ते का बोझ कम कर तय मानकों के अनुरूप किया जाएगा। इसके लिए एससीईआरटी उत्तराखंड के अधिकारियों को प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
जनजागरूकता अभियान चलाया जाएगा
शासन से दिशा-निर्देश जारी होने के बाद आगामी सत्र से ही नई व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा। इससे पूर्व 26 जनवरी 2024 तक पूरे प्रदेश में निजी स्कूल संचालकों, प्रबंधकों, प्रधानाचार्यों एवं अभिभावकों के साथ जिला व राज्य स्तर पर बैठकों का आयोजन कर जनजागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
मंत्री बोले, उत्तराखंड में आईसीएसई, सीबीएसई, उत्तराखंड बोर्ड और भारतीय शिक्षा बोर्ड के तहत कक्षा एक से 12वीं तक के स्कूलों में बच्चों का बोझ कई गुना अधिक है। जिसको कम करने के लिए नई शिक्षा नीति-2020 में भी सिफारिश की गई है, इसके अलावा मद्रास हाईकोर्ट के द्वारा वर्ष 2019 में जारी आदेश के क्रम में राज्य सरकार पहले ही बस्ते का बोझ कम करने का आदेश जारी कर चुकी है। जिसका पालन राज्य में नहीं हो सका। उन्होंने स्कूलों में तैनात संविदा एवं अस्थाई शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश, नए निजी स्कूलों को टोकन मनी देने के भी निर्देश दिए।
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