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विजय दिवस के अवसर पर सीएम धामी ने शहीद स्मारक देहरादून में शहीद जवानों को अर्पित की श्रद्धांजलि।


विजय दिवस के अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गांधी पार्क स्थित शहीद स्मारक, देहरादून में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। सीएम धमाी ने करगिल वार मेमोरियल में शहीद जवानों स्‍मारक पर पुष्‍प चक्र अर्पित कर सेल्‍यूट किया। इस अवसर पर सीएम धामी के साथ सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी भी मौजूद रहे।

उन्‍होंने कहा देवभूमि उत्‍तराखंड की सदैव देशभक्ति और राष्‍ट्र के प्रति समर्पण की भावना रही है। मुख्‍यमंत्री आवास विजय दिवस के मौके पर आयोजित सैनिक सम्‍मान कार्यक्रम में सीएम धामी ने पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया। इसके साथ ही उन्‍होंने कहा देहरादून में जल्‍द ही भव्य सैन्य धाम का निर्माण किया जाएगा।

विजय दिवस के अवसर पर आयोजित निबंध एवं कला प्रतियोगिता में प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को भी मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की कि सैनिक आश्रितों को भर्ती पूर्व दिये जाने वाले प्रशिक्षण के दौरान भोजन व्यवस्था के लिए प्रतिदिन दी जाने वाली धनराशि 80 रूपये से बढ़ाकर 225 रूपये प्रति प्रशिक्षणार्थी की जायेगी। राज्य के गढ़वाल और कुमांऊ मण्डल में सैनिक आश्रित युवाओं को सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा 56 दिनों का निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन भारतीय सेना के वीर जवानों के अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम का उत्सव मनाने का दिन है। 1971 का युद्ध अमानवीयता पर मानवता, दुराचार पर सदाचार और अन्याय पर न्याय की जीत का युद्ध था। आज ही के दिन वर्ष 1971 में पाकिस्तान के 93,000 से अधिक सैनिकों ने हमारे वीर बहादुर सैनिकों के समक्ष घुटने टेके थे। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, किसी भी सेना का यह सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था।

यह युद्ध भारत के वीरों के अटल संकल्प और बलिदान का प्रत्यक्ष उदाहरण था। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की भूमि, देवभूमि होने के साथ-साथ पराक्रम और बलिदान की भूमि भी है। 1971 के भारत-पाक युद्ध में वीर भूमि उत्तराखंड के 255 जवानों ने भारत मां की रक्षा के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था। इस युद्ध में अपने अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय देने वाले प्रदेश के 74 सैनिक विभिन्न वीरता पदकों से सम्मानित हुए थे। ऐसे सभी वीरों के बलिदान की अमर गाथाएं आज भी हमारे युवाओं को प्रेरणा देने का काम करती हैं।

पूर्व सैनिकों को सम्‍मानित करते हुए सीएम धामी ने कहा वीर सैनिकों के सम्मान से देश का स्वाभिमान एवं सम्मान बढ़ा है। मुख्‍मयंत्री ने कहा सैनिक कभी पूर्व सैनिक नहीं होता है, वह वीर सैनिक रहता है। सीएम धामी ने कहा सैनिकों के सम्मान की इस परंपरा को आगे भी बनाए रखना होगा।

सीएम धामी ने कहा सैनिक का बेटा होने के नाते जब मैं ऐसे कार्यक्रम में आता हूं तो मुझे बहुत गर्व महसूस होता है। उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि पीएम मोदी ने हमेशा ही देश के सैनिकों का मनोब बढ़ाने का कार्य किया है। उन्‍होंने कहा पीएम मोदी की शुभकामनाओं का प्रतिफल है कि एक सैनिक के बेटे को मुख्य सेवक के रूप में कार्य करने का अवसर दिया। आज हमारे सैनिक अत्याधुनिक हथियारों से लैस हैं, उनकी सहायता और सुरक्षा के लिए विश्व स्तरीय उपकरण उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। आज हमारे सैनिकों का मनोबल इतना ऊंचा है कि वो दुश्मन के घर में घुस कर उस पर कार्रवाई करने में समर्थ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के मुख्य सेवक के रूप में उनका प्रयास रहता है कि सैन्य परिवारों के लिए विशेष योजनाएं बने, जिससे एक सैनिक को युद्ध में लड़ते समय अपने परिवार की चिंता न हो। राज्य सरकार प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में सैनिकों और उनके परिवार को मिलने वाली सुविधाओं में वृद्धि करने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है।

राज्य सरकार ने उत्तराखण्ड के वीरता पदक से सम्मानित सैनिकों को देय एकमुश्त अनुदान राशि में भी वृद्धि की है। जिसके तहत परमवीर चक्र से सम्मानित सैनिक को 30 लाख से 50 लाख, महावीर चक्र 20 लाख से 35 लाख, कीर्ति चक्र 20 लाख से 35 लाख, वीर चक्र और शौर्य चक्र 15 से 25 लाख और सेना गैलेंट्री मेडल 07 लाख से 15 लाख करने को मंजूरी दी गई। उत्तराखण्ड से द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों की वीरांगनाओं एवं वेटरन की पेंशन प्रतिमाह 8 हजार रूपये से बढ़ाकर 10 हजार रूपये की है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और उनकी विधवाओं की प्रतिमाह पेंशन 21 हजार से बढ़ाकर 25 हजार की गई है।

इस अवसर पर सैनिक कल्याण मंत्री  गणेश जोशी, विधायक खजान दास, सचिव सैनिक कल्याण  दीपेन्द्र चौधरी, जिलाधिकारी देहरादून  सोनिका, एसएसपी  अजय सिंह, निदेशक सैनिक ब्रिगेडियर कल्याण अमृत लाल (से.नि), मेजर जनरल सम्मी सबरवाल(से.नि), रियर एडमिरल ओ.पी.सिंह राणा(से.नि), ब्रिगेडियर के.जी बहल(से.नि) एवं पूर्व सैन्य अधिकारी और वीरांगनाएं उपस्थित थे।

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