राज्य योजना आयोग को उत्तराखंड सरकार ने समाप्त कर दिया है। अब प्रदेश में नीति आयोग की तर्ज पर स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर इंपावरिंग एंड ट्रांसफॉर्मिंग उत्तराखंड (सेतु) का गठन किया जाएगा। सेतु के गठन के लिए राज्यपाल ने भी मंजूरी दे दी है। बता दें कि हाल में इसके प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दी थी।
आदेश हुए जारी
आज मंगलवार को सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं। बता दें कि प्रदेश सरकार की नीति व नियोजन में स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर इंपावरिंग एंड ट्रांसफॉर्मिंग उत्तराखंड (सेतु) थिंक टैंक की तरह काम करेगा। इसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे। इसके साथ ही नियोजन मंत्री उपाध्यक्ष और तीन सलाहकार भी नियुक्त होंगे।
ये होगा सेतु का उद्देश्य
सेतु यानी की स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर इंपावरिंग एंड ट्रांसफॉर्मिंग उत्तराखंड का उद्देश्य नागरिकों के विकास एवं कल्याण की सामाजिक एवं व्यक्तिगत आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए एजेंडा तैयार करना होगा। इसके साथ ही लोगों की आवश्यकताओं के मुताबिक ये उनकी पूर्ति के लिए सक्रिय रहेगा।
सेतु आम जन की विकास में भागीदारी को सुनिश्चित करेगा। राज्य के युवाओं के लिए अवसरों की समानता प्रदान करेगा। इसके साथ ही सेतु राज्य के संसाधनों के कुशल और प्रभावी उपयोग के लिए समन्वय बनाने के साथ ही सामुदायिक भागीदारी व नेटवर्किंग पर भी जोर देगा।
मुख्यमंत्री होंगे अध्यक्ष, सेतु के तहत तीन केंद्र
सेतु के संगठनात्मक ढांचे के मुताबिक, मुख्यमंत्री इसके अध्यक्ष होंगे। यदि वह नियोजन मंत्री हैं, तो उपाध्यक्ष पद पर वह किसी मंत्री को नामित करेंगे। मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुक्त बाजार से लिया जाएगा। यह नामी अर्थशास्त्री या सेवानिवृत्त नौकरशाह हो सकता है। सभी मंत्री इसके सदस्य होंगे। सेतु के तहत तीन केंद्र होंगे और प्रत्येक में दो-दो सलाहकार होंगे। इनमें आर्थिक एवं सामाजिक विकास केंद्र में आर्थिकी एवं रोजगार सलाहकार, लोक नीति एवं सुशासन केंद्र में लोक नीति एवं सुशासन सलाहकार व शहरी व अर्द्ध शहरी विकास सलाहकार व साक्ष्य आधारित योजना केंद्र में सांख्यिकी एवं डाटा व अनुश्रवण व मूल्यांकन सलाहकार होंगे।
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