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उत्तराखंड विधानसभा भर्ती घोटाला में नियुक्त कर्मचारियों की बर्खास्तगी के आदेश पर नैनीताल हाईकोर्ट की रोक


उत्तराखंड विधानसभा में पूर्व में विधानसभा अध्यक्षों द्वारा नियुक्त कर्मचारियों को सेवा से निकाले जाने के सरकार के निर्णय पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। फिलहाल कर्मचारियों की नौकरी बनी रहेगी। बता दें, कि उत्तराखंड विधानसभा की अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने विधानसभा में बैकडोर से हुईं 250 भर्तियां रद्द कर दी थी। इनमें 228 तदर्थ और 22 उपनल के माध्यम से हुईं नियुक्तियां शामिल हैं।

उत्तराखंड विधानसभा भर्ती घोटाले मामले में विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करते हुए उनके खिलाफ जांच बैठा दी गई थी। विधानसभा में हुईं भर्तियों की जांच के लिए बनी तीन सदस्यीय विशेषज्ञ जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट दे थी। इस रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर 2016 में हुईं 150 तदर्थ नियुक्तियां, 2020 में हुईं छह तदर्थ नियुक्तियां, 2021 में हुईं 72 तदर्थ नियुक्तियां और उपनल के माध्यम से हुईं 22 नियुक्तियां रद्द की गई।

2011 से पहले की भर्तियों पर विधिक राय के बाद कार्रवाई

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि 2011 से पहले विधानसभा में जो नियुक्तियां हुई थीं, वह कर्मचारी नियमित हो चुके हैं। उनकी नियुक्ति कैसे हुई, नियमितिकरण कैसे किया गया, पदोन्नतियां कैसे हुईं, इस पर विधिक राय लेने के बाद कार्रवाई की जाएगी।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि विधानसभा अध्यक्ष ने लोकहित को देखते हुए उनकी सेवाएं समाप्त कर दी, मगर बर्खास्तगी आदेश में उन्हें किस आधार पर किस कारण की वजह से हटाया गया, कहीं इसका उल्लेख नहीं किया गया न ही उन्हें सुना गया। जबकि उनके सचिवालय में नियमित कर्मचारियों की भांति कार्य किया है। एक साथ इतने कर्मचारियों को बर्खास्त करना लोकहित नही है। यह आदेश विधि विरुद्ध है। विधान सभा सचिवालय में 396 पदों पर बैकडोर नियुक्तियां 2002 से 2015 के बीच भी हुई है, जिनको नियमित किया जा चुका है।

सेवा विस्तार भी नहीं दिया

याचिका में कहा गया है कि 2014 तक हुई तदर्थ रूप से नियुक्त कर्मचारियों को चार वर्ष से कम की सेवा में नियमित नियुक्ति दे दी गई । किन्तु उन्हें 6 वर्ष के बाद भी स्थायी नहीं किया, अब उन्हें हटा दिया गया। पूर्व में भी उनकी नियुक्ति को जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी गयी थी, जिसमे कोर्ट ने उनके हित में आदेश दिया था जबकि नियमानुसार छह माह की नियमित सेवा करने के बाद उन्हें नियमित किया जाना था।

 

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