उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन से उत्तराखंड के भी शोक की लहर है। मुलायम सिंह ने सोमवार की सुबह मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दुख व्यक्त किया। इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट द्वारा उन्होंने अपनी संवेदनाएं व्यक्त की। उन्होंने लिखा ‘उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव जी के निधन का समाचार दुखद है। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।’
यूपी से अलग होकर नए राज्य की स्थापना के पक्ष में मुलायम शुरू से नहीं रहे थे। उत्तराखंड के उत्तर प्रदेश में होने के दौरान उनके सीएम रहते हुए 27 साल पहले रामपुर तिराहा कांड हुआ था। राज्य आंदोलनकारी उस काली रात को आज भी नहीं भूले हैं। अलग उत्तराखंड की मांग कर रहे आंदोलनकारियों ने 2 अक्टूबर 1994 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करना तय किया था। गढ़वाल और कुमाऊं के आंदोलनकारियों का काफिला दिल्ली की तरफ बढ़ा तो मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर पुलिस ने जबरदस्त नाकाबंदी कर दी। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोका।
नाराज प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। फिर पुलिस ने लाठी और गोलियां बरसा दीं। पुलिस की गोलियों से सात आंदोलनकारी शहीद हुए थे। वहीं उत्तराखंड के इतिहास में इस काले अध्याय ने मुलायम सिंह यादव को पहाड़ की जनता से दूर कर दिया।
इस गोलीकांड में उतराखंड की मांग करने वाले कई राज्य आंदोलनकारियों पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं गईं थी, और इस गोलीकांड में कई आंदोलनकारियों की मौत भी हुई थी। आंदोलनकारियों का कहना है कि लोहिया आंदोलन में संघर्ष करने वाले मुलायम सिंह ने कभी भी मुजफ्फरनगर की घटना के लिए प्रायश्चित नहीं किया और ना ही कभी उन दोषियों के खिलाफ कोई कार्यवाही की पहल की।
हैरानी थी बात थी कि कई साल गुजरने के बाद भी मुलायम की ओर से इस गोलीकांड के लिए माफी भी नहीं मांगी गई। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के सपा नेता मुलायम सिंह के निधन पर शोक व्यक्त कर उनके आत्मा की शांति की प्रार्थना की। जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने कहा ये उनके जीवन का कड़वा अध्याय था। मुलायम सिंह ने रक्षामंत्री होते हुए वेतन वृद्धि कर सेना के दिल में जगह बनाई थी।
वहीं, पृथक उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर उन्होंने कौशिक समिति का गठन कर गैरसैंण को स्थापित करने बात कर एक बेहतरीन पहल भी की थी। दूसरी ओर, मुजफ्फरनगर कांड की घटना इसके ठीक उलट कार्य उनके शासनकाल में हुआ। यही कारण था कि आज तक समाजवादी पार्टी देवभूमि में कभी भी अपना वजूद नहीं बना पाई। प्रदीप कुकरेती ने कहा कि व्यक्ति के जाने के बाद कड़वे और मीठे अनुभव को जनमानस याद रखता है।
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