महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने धर्म संसद से नाता तोड़ लिया है। उन्होंने जिहाद के खिलाफ कोई धर्म संसद आयोजित न करने का ऐलान करते हुए कहा कि वह और उनके शिष्यों ने अब सार्वजनिक जीवन छोड़कर धार्मिक जीवन जीने का फैसला किया है।
गुरुवार को हरिद्वार में मीडिया को जारी बयान में नरसिंहानंद ने कहा कि धर्म संसद को लेकर उन्हें अपनों के बीच ही अपमानित होना पड़ा है। इसलिए उन्होंने अब कोई भी धर्म संसद नहीं करने का फैसला लिया है। उन्होंने मुद्दों को समाज का साथ नहीं मिल पाने पर वसीम रिजवी से माफी भी मांगी।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में उन्होंने समाज में चेतना लाने की कोशिश की, लेकिन अपनी और अपने शिष्य की दुर्गति से वह बेहद क्षुब्ध हैं। इसलिए सामाजिक जीवन को छोड़ते हुए वह अब पूरी तरह से धार्मिक जीवन जीएंगे। महामंडलेश्वर स्वामी यति नरसिंहानंद गिरि महाराज ने कहा कि जितेंद्र नारायण त्यागी की रिहाई के लिए उन्होंने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी, लेकिन समाज का जो उदासीन रवैया सामने आया है।
उससे खिन्न होकर उन्होंने अपने बचे हुए जीवन को मां और महादेव के महायज्ञ और श्रीकृष्ण की श्रीमद्भागवत गीता को समर्पित करने का संकल्प लिया है। उन्होंने जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी से क्षमा भी मांगी है कि वह उनके सम्मान की रक्षा नहीं कर पाए। कहा कि अब वे अपना समय युवकों को श्रीमद्भागवत गीता पढ़ाने और धार्मिक कार्यों में लगाएंगे।
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