एक मां अपने बच्चे के लिए अपना सबकुछ न्योछावर करने को हर पल तैयार रहती है। लेकिन बेरीनाग दौलीगाड़ में घटी इस घटना ने मां और बच्चे के रिश्ते को शर्मशार किया है। जीवित होने के बावजूद एक मां ने अपनी बेटी को मरने के लिए जंगल में छोड़ दिया। घटना के पीछे का कारण नवजात का लड़की होना बताया जा रहा है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपी महिला को गिरफ्तार कर लिया है।
बाल कल्याण समिति को दौलीगाड़ गांव के पास के जंगलों में नवजात का शव पड़े होने की सूचना मिली थी। समिति के लोग पुलिस को लेकर वहां पहुंचे तो शव नहीं मिला। इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी। पता चला कि क्षेत्र की एक गर्भवती 10 मई से अपने तीन बच्चों (दो बेटी और एक बेटा) के साथ लापता है।
महिला के गंगोलीहाट में किराये के मकान में रहने की बात पता सामने आई। पूछताछ करने पर महिला ने बताया कि छह मई को उसने गांव के जंगल में बच्ची को जन्म दिया था। पुलिस पूछताछ में महिला ने कबूल किया है कि प्रसव के बाद बच्ची बिल्कुल सुरक्षित थी। लेकिन बेटे की चाहत में उसने बच्ची को कपड़े में लपेटकर वहीं पर रख दिया था। करीब दो घंटे बाद गांव की अन्य महिलाएं घास काटने जंगल गई तो उन्हें बच्ची मृत अवस्था में मिली।
गांव के अन्य लोग मृत बच्ची को न देख लें, इस डर से अगले दिन महिला ने नवजात के शव को दफनाने का निर्णय लिया। उसने से जंगल में गड्ढा खोदकर दफना दिया। हालांकि जांच के दौरान पुलिस को केवल वह शाल मिली है जिसमें लपेट कर मासूम को दफनाया गया था।
लेकिन उसका शव नहीं मिला है। रविवार को पुलिस ने आरोपी मां को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी के खिलाफ नवजात को जानबूझ कर मरने के लिए छोड़ने और अपराध को छुपाने व साक्ष्य मिटाने के आरोप में धारा 315,317 और 201 के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
पुलिस ने महिला को गिरफ्तार कर उसका चालान कर दिया है। बताया जा रहा है कि महिला का पति चंडीगढ़ में नौकरी करता है। आजकल वह भी घर आया है। प्रेमा के तीनों बच्चे अब अपने पिता और दादी के साथ रह रहे हैं।
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