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हजारों घरों को रौशन करने के लिए झील में समाया ‘लोहारी’ गांव।


120 मेगावाट की व्यासी बांध की झील का जल स्तर 630 आरएल मीटर तक पहुंच गया है। बांध की झील में लोहारी गांव पूरी तरह से जलमग्न हो गया है। झील का जल स्तर 630 आरएल मीटर तक पानी पहुंच जाने के बाद बांध परियोजना से बिजली उत्पादन का रास्ता साफ हो गया है।

बुधवार को बांध परियोजना की साठ-साठ मेगावाट की दोनों टरवाइनों की बिजली उत्पादन के लिए टेस्टिंग की जाएगी। मशीनों की टेस्टिंग सफल होने के बाद पावर ग्रिड से सिंक्रोनाइजेशन की प्रक्रिया शुरु की जायेगी। परियोजना के अधिशासी निदेशक राजीव अग्रवाल ने बताया कि झील के जल स्तर को फिलहाल 630 आरएल मीटर पर स्थिर रखा जायेगा। जरुरत पडने पर 631 आरएल मीटर तक पानी भरा जायेगा।

सोमवार को जब व्यासी झील में पानी भरना शुरु हुआ और पानी धीरे धीरे गांव की ओर बढ़ने लगा तो लोहारी के ग्रामीणों की आंखों में आंसू थे।  एक सौ बीस मेगावाट की व्यासी जल परियोजना के कारण गांव के 71 परिवारों का विस्थापन किया जाना था। इनमें से पांच लोगों को कोई वारिस नहीं था।

इसके बाद लगातार बढ़ते जलस्तर ने गांव के मकान, गौशाला, खेत-खलिहानों व पार्क आदि को अपने आगोश में ले लिया। उधर, परियोजना के अधिकारियों का दावा है कि देर रात तक डैम के लिए निर्धारित जलस्तर की मात्रा को सुनिश्चित कर लिया जाएगा।

बिजली उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेेश में मील का एक नया पत्थर साबित होने वाली व्यासी जलविद्युत परियोजना के लिए बनाए गए डैम में पानी भरने का काम अंतिम चरण में पहुंच गया है। 120 मेगावाट की यह जल विद्युत परियोजना प्रदेश को बिजली की समस्या से मुक्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। परियोजना के लिए बनाए गए डैम में पानी भरने के दौरान डूब क्षेत्र में आए लोहारी गांव में भी आज पानी भर गया।

गांव को जलविद्युत निगम व प्रशासन ने कई दिन पहले ही खाली करा लिया था। गांव में रहने वाले परिवारों को गांव में ही ऊंचाई पर बने एक राजकीय प्राथमिक विद्यालय व जलविद्युत निगम की कालोनी के 12 अन्य मकानों में शिफ्ट किया गया।

उन्होंने बताया कि पानी की मात्रा पूरी हो जाने के बाद इसी सप्ताह से टरबाइनों से उत्पादित होने वाली बिजली को पावर ग्रिड में तक पहुंचाने का कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा।

लोहारी गांव डूबा
इसके अलावा अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक प्रदेश को परियोजना से बिजली मिलनी शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को निर्धारित मुआवजा व अन्य तमाम प्रकार के देय का भुगतान पहले ही कर दिया गया है।
लोहारी गांव डूबा
इसके अलावा परिवारों को अस्थायी रूप से रहने के लिए छह माह का किराया देने की भी व्यवस्था निगम के माध्यम से की गई है।

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