बीजेपी के बड़े नेताओं में इन दिनों मुलाकातों का दौर चल रहा है. असल में ये सुगबुगाहटें तब तेज़ हुईं जब पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के यहां पहले सीएम धामी पहुंचे और उसके बाद मदन कौशिक ने भी रावत के यहां पहुंचकर मुलाकात की. यही नहीं, धामी और कौशिक दोनों पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक के यहां भी पहुंचे. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक इन दिनों लगातार भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। बीते रोज उन्होंने कैबिनेट मंत्री धन सिंह के साथ पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भी मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि इन मुलाकातों के केंद्र में संभावित चुनाव परिणाम और पार्टी संगठन द्वारा भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों को लेकर की जा रही चर्चा है। वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात का यह क्रम आगे भी जारी रहने की संभावना है।
क्या 10 मार्च से पहले बीजेपी के बड़े नेता मैनेजमेंट में जुट गए हैं? या फिर चुनाव से पहले नेता आपसी मेलजोल बढ़ा रहे हैं! चूंकि त्रिवेंद्र ने डोईवाला सीट छोड़ते हुए इस बार चुनाव लड़ने से मना तक कर दिया था. तो अब चर्चा इस तरह भी है कि चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने त्रिवेंद्र रावत को पूरी तरह से अनदेखा किया, उन्हें अब तवज्जो क्यों दी जा रही है! इस बारे में सीएम धामी ने साफ कह दिया कि वो सबसे मिलेंगे, ‘लेकिन किसी को मुख्यमंत्री की कुर्सी दिखती हो, तो मैं कुछ नहीं कह सकता.’ धामी ने अब तक निशंक और त्रिवेंद्र से मिलने की पुष्टि करते हुए कहा कि वह तीरथ रावत, विजय बहुगुणा और दूसरे पदाधिकारियों से भी मिलेंगे.
राजनीतिक दलों में नेताओं में नज़दीकी और नाराज़गी वक़्त और हालात पर निर्भर करती है, तो क्या मीटिंगों के ज़रिये बड़े नेता गिले-शिकवे मिटा रहे हैं? ताकि किसी भी नेता की नाराज़गी पार्टी को मुश्किल में न डाले. मदन कौशिक का कहना है कि नेताओं के बीच मुलाकात एक शिष्टाचार है, नाराज़गी या मैनेजमेंट जैसी कोई बात नहीं है. इधर, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत भी नाराज़गी की बातों को पूरी तरह नकार रहे हैं.
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