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ओमिक्रोन वैरिएंट पर कितनी कारगर होगी वैक्सीन, जानें विशेषज्ञों की राय।


कोरोना वायरस के खतरनाक वैरिएंट ओमिक्रोन ने पूरी दुनिया की चिंता बढ़ा दी है। कोरोना का यह सबसे खतरनाक वैरिएंट बताया जा रहा है। ओमिक्रोन की सबसे पहले पहचान दक्षिण अफ्रीका में हुई, लेकिन अब कोरोना वायरस का ये खतरनाक वैरिएंट भारत समेत यूरोप और एशिया में अपना पांव पसार चुका है। इसके बाद इस वैरिएंट से पूरी दुनिया में खलबली मच गई है। यह भी कहा जा रहा है कि नए वैरिएंट के लिए एक नई वैक्‍सीन की तैयारी चल रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्‍या पुराना टीका इस वैरिएंट पर कम असरदार है? इन सब मामलों में वैज्ञानिकों एवं डाक्‍टरों की क्‍या राय है ? इसकी जांच कैसे होती है और इसके लक्षण क्‍या हैं ।

1- आक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्‍सीलोजी की प्रोफेसर डेम सारा गिल्‍बर्ट का कहना है कोरोना का यह वैरिएंट थोड़ा भिन्न है। इससे हो सकता है कि वैक्सीन से बनने वाली एंटीबाडी या दूसरे वैरिएंट के संक्रमण से बनने वाली एंटीबाडी ओमिक्रोन के संक्रमण को रोकने में कम प्रभावी हो, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं कि वैक्सीन प्रभावी नहीं है। गिल्‍बर्ट का कहना है कि कोरोना के बाद भविष्‍य में आने वाली महामारी ज्‍यादा खतरनाक हो सकती है। उन्‍होंने कहा कि कोरोना के दौरान हमनें जो गलतियां की हैं उनसे हमें सबक लेकर भविष्य में बेहतर तैयारियों के साथ ऐसी महामारियों से लड़ने के लिए तैयार रहना होगा। उन्‍होंने कहा कि दुनिया को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोरोना के दौरान समय को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए और अगले वायरस के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो।

2- एम्‍स प्रमुख डाक्‍टर गुलेरिया ने रविवार को समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा ओमिक्रोन के 30 से ज्यादा म्‍यूटेशन हो चुके हैं। यह म्‍यूटेशन या बदलाव वायरस के स्पाइक प्रोटीन क्षेत्र में हुए हैं। उन्होंने कहा कि वायरस के स्पाइक प्रोटीन वाले क्षेत्र में म्यूटेशन होने से ओमिक्रोन वैरिएंट ऐसी क्षमता विकसित कर सकता है, जिसमें कि वह इम्‍युनिटी से बच सकता है। इसका मतलब है कि टीके या दूसरी वजहों से पैदा हुई शरीर की प्रतिरोधी क्षमता का उस पर असर नहीं पड़े। गुलेरिया ने कहा कि ऐसे में दुनिया के सभी कोरोना वैक्‍सीन निर्मित कंपनियों को इसकी समीक्षा करनी पड़ेगी। उन्‍होंने कहा कि यह इसलिए जरूरी है क्योंकि अधिकतर वैक्सीन इस प्रोटीन से जूझने वाले एंटीबाडी विकसित करते हैं। गुलेरिया ने आगे कहा कि इसी आधार पर वैक्सीन काम करती है। एम्‍स प्रमुख ने कहा कि ओमिक्रोन म्‍यूटेशन कर रहा है यानी अपना रूप तेजी से बदल रहा है तो यह संभव हो कि कई वैक्‍सीन पर प्रभावकारी नहीं हो।

ओमिक्रोन वैरिएंट की आरटीपीसआर से जांच संभव ?

1- क्‍या आरटीपीसीआर टेस्‍ट से ओमिक्रोन का पता लगाया जा सकता है। इस मामले में यशोदा हास्पिलट के डाक्‍टर पीएन अरोड़ा का कहना है कि आरटीपीसीआर टेस्‍ट से सिर्फ इस बात का पता लगाया जा सकता है कि कोई व्‍यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं। आरटीपीसीआर जांच से शरीर में वायरस की मौजूदगी का पता चलता है। उन्‍होंने कहा कि इस जांच से वैरिएंट का पता नहीं लग सकता। वैरिएंट का पता लगाने के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग जरूरी हो जाती है। उन्‍होंने कहा कि सभी सैंपल को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए नहीं भेजा जा सकता। उन्‍होंने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया बेहद जटिल, धीमी और महंगी होती है।

2- ओमिक्रोन के संदर्भ में यह अंतर स्‍पाइक प्रोटीन के म्‍यूटेशन से जुड़ा है। यह वायरस का वह हिस्‍सा है, जो अपने अंदर बार-बार बदलाव लाता है। इससे वह खुद को दवाइयों और रोग प्रतिरोध कोशिकाओं से बच जाता है। इसी वजह से इसकी जांच करना मुश्किल है। ऐसे में ज्‍यादातर जांच यही बता पाएंगे कि किसी व्‍यक्ति को कोरोना संक्रमण हुआ है या नहीं। यदि कोई व्‍यक्ति ओमिक्रोन वैरिएंट से संक्रमित है तो इसके लिए जेनेटिक सीक्वेंसिंग की मदद लेनी होगी।

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वैरिएंट की पुष्टि की थी। संगठन ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में यह नया वैर‍िएंट पाया गया है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने कोरोना वायरस के इस वैरिएंट पर चिंता जाहिर की थी और इसका नाम ओमिक्रोन रखा था। संगठन ने कहा कि इस वैरिएंट के बहुत सारे म्‍यूटेशन हो रहे हैं। इससे व्‍यक्ति को दोबारा संक्रमित होने का खतरा है। संक्रमित व्‍यक्तियों में बहुत मामूली लक्ष्‍ण पाए गए हैं। ज्‍यादातर मरीजों में शरीर में दर्द और बहुत ज्‍यादा थकावट की शिकायत मिली है। हालांकि इस वैरिएंट के असर और गंभीरता का अनुमान अभी तक नहीं लगाया गया है।

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