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लगातार हो रही बारिश ने धान की फसल को किया बर्बाद।


रविवार से शुरू हुई बारिश ने अन्नदाता के माथे पर चिंता की लकीरें ला दीं हैं। लगातार हो रही बारिश से धान की फसल बर्बाद हो गई है। रुद्रपुर में मूसलाधार बारिश से धान की फसल को नुकसान पहुंचा है। इससे किसान परेशान हो गए हैं। वहीं, टनकपुर में भी बारिश से फसल को नुकसान हुआ है। सैलानीगोठ में भी भारी बारिश से धान की फसल बर्बाद हो गई है। हल्द्वानी छड़ायल क्षेत्र में भारी बारिश से धान की फसल को नुकसान हुआ है। उत्तरकाशी के पुरोला में भारी बारिश से लाल चावल के लिए प्रसिद्ध रवांई घाटी के किसानों की धान की फसल बर्बाद हो गई है। जिससे उनके सामने आजीविका संकट पैदा हो गया है। बारिश के चलते धान की फसल को नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है। डोईवाला के किसान धान का उत्पादन बड़ी संख्या में करते हैं। डोईवाला विकासखंड में करीब 4200 हेक्टेयर भूमि पर धान की बुवाई की गई थी। इन दिनों किसान धान की कटाई में व्यस्त थे। ऐसे में बारिश होने से किसानों की पेशानी पर बल पड़ गया है।

डोईवाला के श्यामपुर न्याय पंचायत के अलावा भानियावाला, माजरी, शेरगढ़, दूधली के सिमलास ग्रांट, नांगल  ज्वालापुर, नांगल बुंलदावाला के अलावा कुड़कावाला, चांदमारी आदि कई क्षेत्रों में किसान धान का उत्पादन करते हैं। रविवार सुबह तड़के से ही शुरू हुई रिमझिम बारिश ने धान उत्पादक किसानों की दुश्वारियों को बढ़ा दिया है। सिमलास ग्रांट के किसान उम्मेद वोरा ने बताया कि कटी हुई फसल को अधिक क्षति होने का अनुमान है। ऐसी फसल सूखने पर दाना काला पड़ने और टूटने की आशंका रहती है।

बेमौसम हुई बरसात से रुड़की शहर से लेकर कस्बे और ग्रामीण क्षेत्रों में जलभराव हो गया। दिनभर हुई बारिश से शहर की सड़कें और गांव की गलियां पानी से लबालब हो गईं। रुड़की के अलावा मंगलौर में हाईवे पर भी जलभराव देखने को मिला। जलभराव और कीचड़ के चलते लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ी।

पककर तैयार खड़ी धान की फसल को रविवार की बारिश से भारी नुकसान हुआ है। कई किसानों ने धान की कटाई तो कर ली थी, लेकिन थ्रेसिंग नहीं करवा पाए थे। ऐसे में फसल भीगकर बर्बाद हो गई। बारिश से खेत में पानी भरने से किसानों का कटा हुआ धान डूब गया। वहीं, तेज हवा के चलते खड़ी फसल लेट गई।

इसके अलावा सरसों, आलू, दलहन, सब्जियां आदि उगाने वाले किसानों के सामने भी संकट खड़ा हो गया है। किसानों ने बुवाई के लिए खेत तैयार कर लिया था। अब पानी भरने से किसानों को दोबारा खेत तैयार करने पड़ेंगे। मौजूदा समय में बारिश धान की फसल के अनुकूल नहीं है।

 

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