आपदाओं से निपटने के लिए बनाए गए पीएम केयर्स फंड से जुड़े विवाद पर सफाई देने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय(पीएमओ) ने दिल्ली हाई कोर्ट में जवाब दाखिल किया है। पीएमओ ने कहा है कि ‘पीएम केयर्स फंड’ भारत सरकार का कोष नहीं है और इसके द्वारा एकत्र किया गया धन भारत की संचित निधि में नहीं जाता।
पीएम केयर्स फंड में मानद आधार पर अपने कार्यों का निर्वहन कर रहे प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अवर सचिव ने कहा है कि न्यास पारदर्शिता के साथ काम करता है और लेखा परीक्षक उसकी निधि की लेखा परीक्षा करता है। यह लेखा परीक्षक भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा तैयार किए गए पैनल का चार्टर्ड एकाउंटेंट होता है।
सम्यक गंगवाल ने दायर की थी याचिका
बता दें कि यह याचिका सम्यक गंगवाल ने दायर की है। इसमें पीएम केयर्स फंड को संविधान के तहत राज्य घोषित करने का निर्देश देने के अनुरोध किया गया है, ताकि इसकी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। इस याचिका के जवाब में ही सरकार द्वारा यह शपथ पत्र दाखिल किया गया।
27 सितंबर को अगली सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने इस मामले की आगे की सुनवाई के लिए 27 सितंबर की तारीख तय की है।
धन की सारी जानकारियां वेबसाइट पर डाल दी जाती हैं: पीएमओ
प्रधानमंत्री कार्यालय में अवर सचिव प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने दाखिल हलफनामे में कहा है कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए न्यास द्वारा प्राप्त धन के उपयोग के विवरण के साथ लेखा परीक्षा रिपोर्ट उसकी आधिकारिक वेबसाइट पर डाल दी जाती है।
अधिकारी ने कहा कि मैं कहता हूं कि जब याचिकाकर्ता लोक कल्याण के लिए काम करने वाला व्यक्ति होने का दावा कर रहा है और केवल पारदर्शिता के लिए विभिन्न राहतों के लिए अनुरोध करना चाहता है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि पीएम केयर्स भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 की परिभाषा के दायरे में ‘राज्य’ है या नहीं।
तीसरे पक्ष की जानकारी का खुलासा करने की अनुमति नहीं: पीएमओ
पीएमओ के हलफनामे में कहा गया है कि भले ही न्यास संविधान के अनुच्छेद 12 में दी गई परिभाषा के तहत एक ‘राज्य’ हो या अन्य प्राधिकरण हो या सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के प्रावधानों की परिभाषा के तहत कोई ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ हो, तब भी तीसरे पक्ष की जानकारी का खुलासा करने की अनुमति नहीं है।
इसमें कहा गया है कि न्यास द्वारा प्राप्त सभी दान ऑनलाइन भुगतान, चेक या डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से प्राप्त किए जाते हैं और प्राप्त राशि की लेखा परीक्षा की जाती है तथा इसकी रिपोर्ट एवं न्यास के खर्च को वेबसाइट पर दिखाया जाता है।
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