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सीबीएसई: स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र लागू किए गए।


केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत कर दी है। नौवीं से बारहवीं (सेकेंडरी व सीनियर सेकेंडरी) तक की कक्षाओं का पाठ्यक्रम जारी कर दिया गया है। नए पाठ्यक्रम के मुताबिक नौवीं और दसवीं के विद्यार्थियों को गणित, विज्ञान और सोशल साइंस के साथ एक वैकल्पिक विषय के रूप में हेल्थ एंड फिजिकल एजुकेशन, आर्ट एजुकेशन भी ले सकते हैं। पांचवें विषय के रूप में एक भाषा को भी पढ़ना होगा। इस संबंध में बोर्ड का आदेश जिले के 117 स्कूलों में पहुंचा है।

आदेश के मुताबिक विद्यार्थी अगर चाहे तो हिंदी और अंग्रेजी को छोड़कर किसी क्षेत्रीय भाषा को अपने विषयों में रख सकते हैं। परंपरागत विषयों में शामिल गणित, विज्ञान और सोशल साइंस के साथ अगर कोई विद्यार्थी छठे विषय के रूप में गृहविज्ञान या कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रहा है और बोर्ड परीक्षा के दौरान इन विषयों में से किसी में फेल हो जाता है तो छठे विषय में मिले नंबर से फेल होने वाले विषय को बदला जा सकेगा।
शैक्षणिक सत्र 2021-22 में स्कूलों को इसी पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाना है। मूल्यांकन भी इसी पाठ्यक्रम के आधार पर होगा। नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 के अनुसार तैयार पाठ्यक्रम से विद्यार्थियों का शारीरिक, बौद्धिक व सामाजिक विकास संभव हो सकेगा।

11वीं और 12वीं के पाठ्यक्रम में हुए बदलाव
11वीं-12वीं के इस पाठ्यक्रम में नौ क्षेत्र ह्यूमेनिटीज एवं सोशल साइंस, लैंग्वेज, मैथमेटिक्स, बिजनेस एंड कॉमर्स आधारित इलेक्टिव, विजुअल एंड परफोर्मिंग एंड क्रिऐटिव आर्ट, स्किल इलेक्टिव, हेल्थ एंड फिजिकल एजुकेशन, सामान्य शिक्षा शामिल हैं। स्कूल व विद्यार्थी इस पाठ्यक्रम को सीबीएसई की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं।

बोर्ड जारी करेगा सैंपल पेपर
बोर्ड की ओर से स्कूलों को कहा गया है कि वह इस पाठ्यक्रम के संबंध में शिक्षकों को सूचित करें। जिससे वह इसी के आधार पर अपना प्लान तैयार कर सकें। जल्द ही बोर्ड सैंपल पेपर व विस्तृत प्रश्न पेपर भी जारी करेगा जिससे विद्यार्थियों को मूल्यांकन के संबंध में पूरी जानकारी मिल सके।

गोरखपुर स्कूल एसोसिएशन अध्यक्ष अजय शाही ने कहा कि नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 के अनुसार बोर्ड ने पाठ्यक्रम तैयार किया है। इसका मकसद विद्यार्थियों को इंजीनियरिंग, मेडिकल और कॉमर्स के अतिरिक्त दूसरे क्षेत्र में उपलब्ध रोजगार के प्रति जागरूक करना है। शिक्षकों को नए पाठ्यक्रम के मुताबिक बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत अब किसी भी विषय की अनिवार्यता 11वीं-12वीं के दौरान नहीं होगी।

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