इस बात की संभावना धीरे-धीरे कम होती जा रही है कि केरल का अल्पसंख्यक समुदाय आगामी छह अप्रैल को होने वाली वोटिंग में एकमुश्त मतदान करेगा. इसकी वजह बीजेपी है जो कि ईसाई समुदाय में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है.
मुस्लिम और ईसाई समुदाय केरल की कुल आबादी का 48 फ़ीसदी हैं. इसमें मुस्लिम बहुसंख्यक समुदाय है. लेकिन अल्पसंख्यक समुदायों ने बीजेपी को अब तक केरल की सत्ता से दूर रखा हुआ था.
ऐसे में हर चुनाव में सत्ता बारी-बारी से सीपीएम के नेतृत्व वाली एलडीएफ़ और कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ़ के हाथ जा रही थी.
लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि केरल की द्विध्रुवीय राजनीति पर एक असर पड़ने वाला है, चाहे वह असर मामूली ही क्यों न हो.
बीजेपी और आरएसएस ईसाई समुदाय के कुछ तबकों को अपनी ओर लाने की कोशिशें कर रहे हैं जिनके बीच चर्च से जुड़े एक मुद्दे को लेकर विवाद है.
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