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कोर्ट हुआ अवैध ब्याज़ देने वालों पर सख्त ।


समस्त मामला इस प्रकार हैं कि देहरादून में कर्ज देने वाले की प्रताड़ना उत्पीड़न से परेशान होकर एक युवक ने फांसी लगा ली युवक ने ली हुई मूल रकम वापस कर दी थी परंतु कर्ज देने वाले ने युवक के उत्पीड़न के साथ-साथ उसकी पिटाई भी कर दी जिस कारण युवक ने परेशान होकर आत्महत्या कर ली ओर उसने अपने सुसाइड नोट में आरोपी बयाजिये का नाम भी लिखा हुआ था।

इस तरह के पता नहीं कितने ही मामले रोज होते होंगे, इन ब्याज पर पैसे देने वालों का पूरा तंत्र इस उत्तराखंड में फैला हुआ है जो 5% परसेंट/10% परसेंट से लेकर 20% परसेंट तक के ब्याज पर पैसे देते हैं,ये सब अवैध रूप से ब्याज का कार्य करने वाले हैं।जिस कारण कर्ज लेने वाला इनके चंगुल में फंस जाता है ओर इसी कारण ब्याज पर पैसे लेने वाले का उत्पीड़न तो होता ही है, यह ब्याज का धंधा करने वाले उस ब्याज पर पैसे लेने वाले के परिवार का भी उत्पीड़न करते होंगे और जिस कारण ब्याज पर पैसे लेने वालों के परिवारों की भूखे मरने तक की नौबत आ जाती होगी।
इस संवाददाता ने इस अत्यंत ही गम्भीर प्रकरण में मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जनहित याचिका दायर कर निवेदन किया गया कि कर्ज देने वाले से परेशान होकर युवक द्वारा की गई आत्महत्या मामलें में कार्यवाही कर रिपोर्ट तलब करने की कृपा करें क्योंकि पुलिस कही इस अत्यंत ही गंभीर मामलें की जांच में लीपापोती न कर दे जबकि आत्महत्या करने वाले ने अपने सुसाइड नोट में आरोपी बयाजिये का नाम भी लिखा हुआ था।साथ ही उत्तराखंड में 5% परसेंट/10% परसेंट से लेकर 20% परसेंट तक का ब्याज लेकर अवैध रूप से ब्याज का काम करने वालों तथा जिला प्रशासन में साहूकारी का लाइसेंस लेकर रजिस्टर्ड ब्याज का कार्य करने वाले उन लोगों के विरुद्ध कार्यवाही की जाए जो तय ब्याज से ज्यादा ब्याज वसूल उत्पीड़न करते हैं के विरुद्ध जनहित न्यायहित में गुप्त रूप से जांच के आदेश एवं कार्यवाही करने की कृपा करें।
मानवाधिकार आयोग द्वारा दायर जनहित याचिका की गंभीरता एवं स्पष्ट रूप से आमजनता से जुड़ा देखते हुए आयोग की डबल बेंच द्वारा याचिका पर तत्काल सुनवाई की गई और आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति विजय कुमार बिष्ट तथा सदस्य पूर्व आईपीएस राम सिंह मीना द्वारा कार्यवाही करते हुए आदेश जारी किए गए कि-
शिकायतकर्ता भूपेन्द्र कुमार लक्ष्मी द्वारा उत्तराखंड में अवैध रूप से ब्याज का कार्य करने वाले तथा ब्याज से ज्यादा वसूल उत्पीड़न करने तथा उत्पीड़न से परेशान होकर देहरादून में युवक द्वारा आत्महत्या करने के संबंध में शिकायत प्रस्तुत की है-
न्यायहित में शिकायत की प्रति जिलाधिकारी देहरादून तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून भेजी जाती हैं और जिलाधिकारी देहरादून तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून को निर्देशित किया जाता हैं कि ज्यादा ब्याज लेने वालों के विरुद्ध नियमानुसार एवं विधिनुसार उचित कार्यवाही की जाए। 
मुख़्य न्यायमूर्ति वाली डबल बैंच ने अवैध ब्याजियो पर कार्यवाही हेतु डीएम,एसएसपी को किया था निर्देशित परंतु डीएम कार्यालय ने कार्यवाही करने के बजाय डीएम को निर्देशित किया गया आदेश पत्र भी एसएसपी को भेज दिया जबकि प्रकरण स्पष्ट रूप से उनके जिलाधिकारी कार्यालय से भी संबंधित हैं तथा मेरे द्वारा अपनी याचिका में अंकित किया गया था कि जिला प्रशासन में साहूकारी का लाइसेंस लेकर रजिस्टर्ड ब्याज का कार्य करने वाले उन लोगों के विरुद्ध कार्यवाही की जाए जो तय ब्याज से ज्यादा ब्याज वसूल उत्पीड़न करते हैं उनके विरुद्ध जनहित न्यायहित में गुप्त रूप से जांच के आदेश एवं कार्यवाही करने की कृपा करें।


परंतु डीएम कार्यालय ने इतने गंभीर मामले में डबल बेंच द्वारा पारित आदेशों के बाद भी गुप्त रूप से जाँच और कार्यवाही करने के बजाय डीएम को भी दिनाँक दिनाँक- 23/12/2021 को निर्देशित किया गया आदेश पत्र आयोग के आदेश होने के 2 महीने बाद दिनाँक 26/02/2022 को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून को पत्र भेजकर लिखा गया कि “माननीय आयोग के आदेश एवं शिकायती प्रार्थना पत्र की प्रति संलग्न कर इस अनुरोध के साथ प्रेषित की जा रही है कि उक्त प्रकरण में माननीय आयोग द्वारा पारित आदेश के परिपेक्ष्य के नियमानुसार एवं विधि अनुसार उचित कार्यवाही करने का कष्ट करें”, जबकि साहूकारी का लाइसेंस लेकर रजिस्टर्ड ब्याज का कार्य करने वालों का रजिस्ट्रेशन तो जिलाधिकारी कार्यालय में ही होता है।

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