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पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत – देवस्थानम बोर्ड पर न झुके सरकार। 


पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड को लेकर सरकार को हरगिज नहीं झुकना चाहिए। अन्यथा ऐसे विरोध भविष्य में सरकारों के लिए परेशानी का सबब बनेंगे। मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि केदारनाथ में कल जो कुछ हुआ, मुझे लगता है कि सभ्य समाज इसकी इजाजत नहीं देता।

कुछ लोग राजनीतिक और स्वार्थवश विरोध कर रहे हैं, जबकि कुछ गफलतवश में हैं और सरकार पर  नाजायज दबाब बना रहे हैं। सरकार अगर ऐसी झुकेगी तो आगे भी ब़ड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। त्रिवेंद्र ने कहा कि भारत सरकार ने किसान बिल बनाया है, तमाम किसानों ने इसका विरोध किया, लेकिन कोई यह बताने को तैयार नहीं है कि विरोध किस बात का है।

विरोधी सांसद भी यह तक नहीं बता पा रहे हैं। वे सिर्फ विरोध के लिए विरोध कर रहे हैं। कहा कि जब भी बड़ा सुधारत्मक कदम उठाया जाता है तो उसका विरोध होता ही है पर यह उचित नहीं है। सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा विवाह का भी विरोध हुआ था। अगर हम वास्तव में परिवर्तन चाहते हैं तो ये विरोध भी बर्दाश्त करना चाहिए। सरकार को विरोध सहने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

बाबा केदार सभी माफ व क्षमा करें
त्रिवेंद्र ने दर्शन से रोकने वालों को केदार बाबा से माफ करने की अपील की। कहा कि केदारनाथ में जो कुछ उनके साथ हुआ वह देवभूमि की पहचान के बिल्कुल भी अनुकूल नहीं है। कहा कि बोर्ड में 51 अन्य मंदिर भी हैं। जिनमें रख रखाव की समस्या है। हमारे देश में तमाम जगहों पर ट्रस्ट व बोर्ड हैं। वहां पर इसके बाद कितना बड़ा परिवर्तन आया है। इसके अध्ययन की जरूरत है। विश्व विद्यालय व मेडिकल कालेज ये ट्रस्ट संचालति कर रहे हैं। दो साल पहले जागेश्वर धाम ट्रस्ट बना, डीएम उसके अध्यक्ष हैं। वहां के लोगों ने स्वयं लिखकर दिया।  देवीधुरा और पूर्णागिरी के लिए ट्रस्ट बनाने की मांग की जा रही है।

त्रिवेंद्र ने कहा कि देश के सवा सौ करोड़ हिंदु चारधाम में आना चाहते हैं, उन सभी की भावनाओं को भी देखा जाना चाहिए। देवस्थान बोर्ड को उत्तराखंड के 20 साल के इतिहास में सबसे बड़ा सुधारात्मक कदम बताते हुए कहा कि कुछ लोगों को पीड़ा जरूर होगी, लेकिन हमको उनकी भी चिंता करनी है जो अपनी पीड़ा के कष्ट को हरने के लिए यहां प्रार्थना करने आते हैं। कहा कि त्रिजुगीनारायण मंदिर भी बोर्ड का अंग है, वहां लोगों ने  उनका भव्य स्वागत किया। कल जो कुछ हुआ, मुझे लगता है सभ्य समाज इसकी इजाजत नहीं देता।

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