आज चारधाम की रक्षक मां धारी देवी 9 साल बाद अपने मूलस्थान पर विराजमान हो गई। सिद्धपीठ मां धारी देवी की प्रतिमा शिफ्टिंग की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो गई थी।
पिछले नौ साल से प्रतिमाएं इसी अस्थायी स्थान में विराजमान हैं। लगभग चार साल पूर्व कंपनी की ओर से इसी के समीप नदी तल से करीब 30 मीटर ऊपर पिलर पर पर्वतीय शैली में आकर्षक मंदिर का निर्माण करा दिया गया, लेकिन शुभ मुहूर्त का इंतजार किया जा रहा था। जोकि मंदिर के पुजारियों ने आज 28 जनवरी की सुबह शुभ मुहूर्त तय किया। जब मां धारी देवी, भैरवनाथ और नंदी की प्रतिमाएं अस्थायी परिसर से नवनिर्मित मंदिर परिसर में स्थापित की गई। धारी देवी का मंदिर जब यहां से अपलिफ्ट कराया जा रहा था तो केदारनाथ में जलप्रलय आया तब से मां धारी देवी की शक्ति और भक्ति को लेकर सभी मां के मंदिर में माथा टेकने जरुर आते हैं। इनका नाम धारण करने वाली देवी के नाम से ही धारी देवी पड़ा। धारी देवी का एक और चमत्कार माना जाता है। जिसका स्वरूप दिन में तीन बार बदलता है। प्रतिमा सुबह एक बच्चे के समान, दोपहर में युवा स्त्री की झलक और शाम होते-होते प्रतिमा बुजुर्ग महिला जैसा रूप धर लेती है। देवी काली को समर्पित इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां मौजूद मां धारी उत्तराखंड के चारधाम और यात्रियों की रक्षा करती हैं। मां धारी की मूर्ति शिफ्टिंग के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत समेत कैबिनेट मंत्री धनसिंह रावत को निमंत्रण भेजा गया है। प्रदेश के सभी मंदिरों और मठों के शीर्ष पुजारियों को भी आमंत्रित किया गया है।
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