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प्रदेश में जबरन धर्मांतरण पर लागू कानून और सख्त, उल्लंघन करने पर होगी सजा और कारावास।


उत्तराखंड में जबरन मतांतरण पर अब कठोर कानून अस्तित्व में आ गया। राजभवन की उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक पर मुहर लगने के बाद संशोधित अधिनियम की राह साफ हो गई।

कानून में ये हैं प्रमुख प्रावधान

  • जबरन, लालच देकर या धोखे से किसी भी व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराना जुर्म होगा।
  • ऐसा करने का दोषी पाए जाने पर उसे 10 साल तक की कैद हो सकती है।
  • नए कानून में 50 हजार के जुर्माने का प्रावधान किया गया है
  • धर्मांतरण कराने का दोषी पाए जाने वाले को पांच लाख रुपये तक पीड़ित को देने होंगे।
  • उत्तराखंड में 2018 में यह कानून बनाया गया था। उसमें जबरन या प्रलोभन से धर्मांतरण पर एक से पांच साल की सजा का प्रावधान था।

उत्तराखंड में मतांतरण पर पहले लागू कानून को अब और सख्त किया गया है। कानून का उल्लंघन करने पर सजा और कारावास, दोनों में वृद्धि की गई है। यह संशोधन सामूहिक मत परिवर्तन के मामले में किया गया है।

दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मत परिवर्तन को सामूहिक मत परिवर्तन की श्रेणी में रखा गया है। सामूहिक मत परिवर्तन में कारावास की अवधि तीन वर्ष से कम नहीं होगी। यह अधिकतम 10 वर्ष तक हो सकेगी। पहले जुर्माना राशि 25 हजार रुपये तय थी। इसे बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया गया है।

संशोधित कानून के अनुसार कोई भी पीडि़त व्यक्ति या उसके माता-पिता या भाई-बहन जबरन यानी किसी दबाव या प्रलोभन के अंतर्गत मत परिवर्तन के संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करा सकेंगे। व्यक्ति की अनुमति के बिना उसे मत परिवर्तन को विवश करने अथवा षडयंत्र रचने पर अब संशोधित सजा की अवधि दो वर्ष और अधिकतम सात वर्ष की गई है।

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