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कृषि कानून को वापस लेने के लिए सरकार पर दबाव।


संयुक्त किसान मोर्चा की नौ सदस्यीय समिति के सदस्य व भारतीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ‘कक्काजी’ ने भोपाल में शनिवार को पत्रकारवार्ता में कहा कि तीनों कृषि कानूनों का रद होना देशहित में है। केंद्र सरकार ने किसानों पर दर्ज मामले तत्काल वापस लेने की घोषणा की है। 15 जनवरी को इसकी समीक्षा की जाएगी। यदि उत्तर प्रदेश चुनाव की अधिसूचना जारी होने के पहले मुकदमे वापस नहीं होते हैं तो हमें फिर मिशन यूपी (उत्तर प्रदेश) की ओर बढ़ना पड़ेगा। शर्मा ने मिशन यूपी से आशय को स्पष्ट नहीं किया, लेकिन उनका इशारा उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा के विरोध को लेकर था। पत्रकारवार्ता में उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कृषि कानून को रद पर उनके प्रति आभार जताया।

सरकार पर बनाएंगे दबाव

उन्होंने कहा कि यह न किसी की जीत है और न ही किसी की हार। हमारी एक प्रमुख मांग किसानों को उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की है। दरअसल, खेती की लागत बढ़ती जा रही है। खाद, बिजली और कृषि उपकरण लगातार महंगे हो रहे हैं तो दूसरी ओर उपज का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। इसके लिए समिति बनाई है। इसमें सभी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। हमारी चिंता किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलाने की है। इसके लिए भी कार्ययोजना बनाई जाएगी। सरकार पर दबाव बनाया जाएगा।

गौरतलब है कि इससे पहले किसान नेता कक्काजी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा का स्वागत किया था। कक्काजी ने कहा कि किसानों से प्रधानमंत्री ने माफी मांगी है, उसके लिए उन्हें आभार जताते हैं। यह जीत एक साल से अपने हक के लिए आंदोलन कर रहे किसानों की है। विश्व में सबसे लंबा चलने वाले इस आंदोलन में सात सौ से ज्यादा किसान बलिदान दे चुके हैं। वहीं, किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि हम प्रधानमंत्री के निर्णय का स्वागत करते हैं, लेकिन इसका श्रेय किसान संगठन, किसान आंदोलन और संयुक्त किसान मोर्चा को जाता है। मैं किसानों को बधाई देता हूं।

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