कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि उत्तराखंड के कृषि उत्पादों को देश-विदेश तक पहुंचाने के लिए जल्द ही नया ब्रांड लांच किया जाएगा। हिमालय ब्रांड के नाम से किसान और स्वयं सहायता समूह को कृषि उत्पादों की पैकेजिंग उपलब्ध कराई जाएगी। पैकेजिंग पर हिमालय के साथ स्वयं सहायता समूह का स्थानीय ब्रांड का नाम भी होगा। सुबोध उनियाल ने कहा कि उत्तराखंड की मिट्टी से उपजे जैविक कृषि उत्पाद देश विदेश में अपनी एक अलग पहचान स्थापित करेंगे।
मंगलवार को उद्यान विभाग उत्तराखंड की ओर से ऋषिकेश के पूर्णानंद मैदान में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मसाला सब्जी महोत्सव में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल शुभांरभ किया। कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश में किसानों की हितों के कई कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। जिनका किसानों को लाभ मिल रहा है। करीब पांच साल पहले राज्य में जहां 350 कलस्टर थे, आज कलस्टरों की संख्या 10 हजार पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के जो भी उत्पाद होंगे उनके नाम के आगे हिमालय लिखा जाएगा।
इससे उत्पादों को बेचने में किसानों को सहायता मिलेगी। उत्तराखंड की अलग से पहचान बन सकेगी। कार्यक्रम में नगर पालिका मुनिकीरेती के अध्यक्ष रोशन रतूड़ी, उद्यान निदेशक एसएस बवेजा, संयुक्त निदेशक उद्यान डॉ. रतन कुमार, निदेशक कुमाऊं मंडल, डॉ. एचसी तिवारी, जिला उद्यान अधिकारी डॉ. डीके तिवारी, निधि राठौर, नियति पंत, भगवान सिंह लिंगवाल, रविशंकर बडोला, नवप्रभात रतूड़ी, संदीप राणा आदि उपस्थित थे।
स्थानीय उत्पादों से महक रहे 13 जिलों के स्टॉल
प्रदर्शनी में प्रदेश के गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के 13 जिलों के उद्यान विभाग के अलग से स्टाल लगे थे। वहीं किसानों की ओर से तैयार फल, सब्जी और मसालों की प्रदर्शनी लगाई गई थी। किसानों की ओर से तैयार मसाले जैसे धनिया, लाल मिर्च, हल्दी, बड़ी इलाइची, तेज पत्ता और सब्जियों में शिमला मिर्च, लौकी, कद्दू, बंदगोभी, ककड़ी (खीरा), पिंडालू, पेठा (भुजेला), गींठी और फलों में अमरुद, संतरा, अखरोट को स्टाल पर लगाया गया था। मधुमक्खी पालन करने के लिए बीबॉक्स भी उद्यान विभाग की ओर से प्रदर्शनी में लगाया गया था। वहीं कृषि संयंत्र बनाने वाली कंपनियों ने भी अपने स्टाल लगा रखे थे।
प्रति हेक्टेयर मसाला उत्पादन में उत्तराखंड देश अव्वल राज्य बन गया है। यहां प्रति हेक्टेयर 6.62 मीट्रिक टन मसालों का उत्पादन होता है। सरकार की ओर से बागवानी मिशन के तहत मसाला व सब्जी की खेती के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है।
उद्यान निदेशक डॉ. एचएस बवेजा ने कहा कि प्रदेश में मसाला व सब्जियों की खेती करने की काफी संभावना है। खास बात यह कि मसालों की खेती करने से किसानों के सामने जंगली जानवरों व बंदरों के नुकसान की समस्या नहीं रहेगी।
उत्तराखंड में 0.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में मसालों की खेती की जाती है। जिसमें 0.96 लाख मीट्रिक टन मसालों का उत्पादन होता है। प्रति हेक्टेयर पर 6.62 मीट्रिक टन उत्पादकता के आधार पर उत्तराखंड का देश में पहला स्थान है। वहीं, प्रदेश में 0.99 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में 10.15 लाख मीट्रिक टन सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है।
मसाला उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए टिहरी जिले में अदरक, पिथौरागढ़ में हल्दी, सल्ट में मिर्च का सेंटर आफ एक्सीलेंस सेंटर स्थापित किया जाएगा। पर्वतीय क्षेत्रों में बैमौसमी सब्जी व मसाला उत्पादन से किसानों की आमदनी बढ़ेगी। जिससे पलायन में भी कमी आएगी। प्रदेश में यूरोपीय सब्जी और तुमडी आलू को बढ़ावा देने के लिए सब्जियों पर आधारित सेंटर आफ एक्सीलेंस का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है।
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