कार्बेट नेशनल पार्क में पेड़ों के अवैध कटान और अवैध निर्माण की जांच विजिलेंस करेगी। शुक्रवार को शासन ने इसके आदेश कर दिए। इस मामले में आधार दर्जन वन अफसरों की भूमिका पर सवाल उठे हैं। इससे पहले आईएफएस संजीव चतुर्वेदी और बीके गांगटे इस मामले की जांच से हाथ खींच चुके हैं। कार्बेट के कालागढ़ डिवीजन की पाखरो रेंज में टाइगर सफारी बन रही है। जिसके लिए वहां निर्माण कार्य हो रहे हैं।
कुछ पर्यावरण प्रेमियों ने इसमें बिना वित्तीय और अन्य तरह की स्वीकृतियों के निर्माण और पेड़ों के कटान का आरोप लगाते हुए एनटीसीए में शिकायत की थी। जिसके बाद एनटीसीए की टीम ने वहां आकर निरीक्षण किया था और अपनी रिपोर्ट में आरोपों की विजिलेंस जांच व इसमें शामिल अफसरों पर कार्रवाई की सिफारिश की थी।
इसके अलावा एनटीसीए ने इसे प्रशासनिक नियंत्रण में गंभीर चूक का उदाहरण बताते हुए विभाग के बड़े जिम्मेदार अफसरों की भूमिका पर भी सवाल उठाए थे। इसके बाद वहां के रेंजर ब्रज बिहारी शर्मा को सस्पेंड कर दिया गया। जिसके बाद दो आईएफएस को अलग अलग जांच सौंपी गई। लेकिन दोनों ने जांच से हाथ खींच लिए।
जिसके बाद अब विजिलेंस को जांच सौंपी गई है। इस मामले में हाईकोर्ट ने भी सरकार से जवाब मांगा है कि कार्बेट जैसी संवेदनशील जगह पर इस तरह पक्के निर्माण बिना परमिशन होते रहे और विभाग कैसे सोया रहा। अपर मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन ने बताया कि विजिलेंस को जांच सौंप दी गई है। इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
अपनी-अपनी जांच करा रहे थे अफसर
इस मामले में पीसीसीएफ राजीव भर्तरी ने सीसीएफ संजीव चतुर्वेदी को जांच सौंपी थी। लेकिन वन मंत्री डा. हरक सिंह ने इसे उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर बताते हुए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन की ओर से एपीसीएफ बीके गांगटे को सौंपी गई जांच का सही बताया था। जिस पर संजीव चतुर्वेदी ने जांच से हाथ खींचते हुए विधिवत और नियमानुसार जांच के आदेश करने की बात कही थी। लेकिन सरकार ने उन्हें विधिवत जांच नहीं दी। वहीं बीके गांगटे ने चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन की ओर से उन्हें सौंपी गई जांच को नियमविरुद्ध बताकर जांच से इंकार कर दिया।
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