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खराब मौसम से सुंदरढूंगा ग्लेशियर में बर्फ ने ली थी जान, आठ दिन बाद कोलकाता के पाचों पर्यटकों के शव बरामद ।


बागेश्वर में सुंदरढूंगा ग्लेशियर की साहसिक यात्रा में लापता पांचों पर्यटकों के शव रेस्क्यू कर निकाल लिए हैं। उन्हें हैलीकॉप्टर के माध्मय से केदारेश्वर मैदान कपकोट में लाया गया। यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कपकोट में पांचों का पोस्टमार्टम किया गया। परिजनों ने उनकी शिनाख्त की। पांचों पर्यटक कोलकाता के रहने वाले हैं। जो प्राकृतिक सुंदरता को निहारने के लिए यहां आए थे। मौसम खराब होने के कारण वह फंस गए थे। गाइड का अभी भी पता नहीं चल सका है।

प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार, सुंदरढूंगा ग्लेशियर में फंसे पांच पर्यटक तथा एक गाइड में से पांचों पर्यटकों के शव निकाल लिए गए हैं। एसडीआरएफ की टीम एवं अन्य सदस्यों ने शवों को बर्फ से निकाला। मृतकों के शवों को मंगलवार को सेना के दो हेलीकॉप्टरों के माध्यम से हेलीपैड केदारेश्वर मैदान कपकोट में उतारा गया, जहां से उन्हें कपकोट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पाचों व्यक्तियों की शिनाख्त उनके परिजनों द्वारा की गई। इसके बाद उनका पीएम किया गया।

मृतकों में बंगाल के जिला हावड़ा बागवान निवासी सागर डे उम्र 27 वर्ष, चंद्रशेखर दास 32, सरित शेखर दास 35 तथा प्रीतम राय उम्र 27 जो नदिया राजघाट के निवासी थे। सादान बासक उम्र 63 कोलकत्ता बिहाला के निवासी थे। सभी की पहचान उनके परिजनों सुब्रोतो दे, अभिजीत राय एवं विश्वजीत दास द्वारा की गई। ग्लेश्यियर में लापता गाइड खिलाफ सिंह दानू का अभी कोई सुराग नहीं लग पाया। उनकी खोजबीन जारी है।

एसडीआरएफ टीम कपकोट हेलीपैड पहुंचने पर जिलाधिकारी विनीत कुमार ने सभी की हौसला अफजाई की। उन्होंने कहा कि सभी रेस्क्यू टीम के सदस्यों द्वारा कठिन परिस्थितियों में भारी बर्फबारी में कड़ी मेहनत कर रेस्क्यू कार्य कर शवों को निकाला। आपको बता दें कि विश्व प्रसिद्ध ग्लेशियर की यात्रा पर निकले कोलकाता के पर्यटक 12 अक्टूबर को हल्द्वानी से वाहन के माध्मय से निकले और खरकिया तक पहुंचे।

यहां से पैदल यात्रा शुरू हुई। पांच पोर्टर व गाइड के साथ 13 को जैतोली पहुंचे। 14 को कठेलिया और पांच को बैलूनी। यहां उन्होंने पत्थरकूनी में बेस कैंप बनाया और वहीं से आगे जाने का कार्यक्रम तैयार किया। 17 को बैलूनी और 18 को कनकटा गए। इसके बाद मौसम दगा दे गया और उनका संपर्क कट गया। आठ दिन बाद उनके शव ही निकाले गए।

मालूम हो कि ग्लेशियरों की यात्रा एक अक्टूबर के बाद ही शुरू होती है, लेकिन इस बार मौसम ने यात्रा में पूरी तरह खलल डाल दिया। इसी का नतीजा रहा कि सुंदरढूंगा की यात्रा पर गए पांच पर्यटकों की मौत हो गई। एक गाइड अभी भी लापता है। नवरात्र में यात्रा करने और दीपावली पर अपने घर जाने का कार्यक्रम बनाकर दो डॉक्टर समेत पांच लोग कोलकाता से सुंदरढूंगा की साहसिक यात्रा पर निलके।

12 अक्टूबर को वह वाहन के माध्यम से हल्द्वानी से चले और खरकिया पहुंचे। यहां से पैदल चलते हुए 13 को जैतोली पहुंचे। यहां से कैलाश, खिलाफ, तारा, सुरेंद्र और विनोद को पोर्टर और गाइड के रूप में लेकर दस सदस्यीय दल आगे बढ़ा। 14 को वह कठेलिया में रहे। 15 को बैलूनी पहुंचे। यहां पहुंचने के बाद उन्होंने देवकुंड व बैलूनी के बीच पत्थरकूनी में बेस कैंप बनाया।

17 को बैलूनी में दिखे। 18 को उनका कनकटा को रवाना हुए। दो बजे अचानक वहां बर्फबारी शुरू हो गई। इसके बाद गाइड व पोर्टर उन्हें लेकर नीचे की ओर आने  लगे, लेकिन इस बीच तेज बर्फबारी के कारण पर्यटकों व पोर्टरों व गाइडों का संपर्क कट गया। पोर्टर सुरेंद्र समेत चार लोग किसी तरह बचकर कठेलिया पहुंचे। उन्होंने ही ग्रामीणों व प्रशासन को पर्यटकों के फंसने की सूचना की।

इस बीच ग्लेशियरों में तेज बर्फबारी हो गई। ठंड व कोहरे के कारण पर्यटकों की मौत हो गई। 21 के बाद प्रशासन ने रेस्क्यू अभियान चलाया, लेकिन मौसम खराब होने के कारण चौपर नहीं उड सका। 22 को भी यही हाल रहा। 23 को प्रशासन ने एसडीआरएफ की टीम को पैदल रवाना किया। 24 को नैनीसैनी हवाई अड्डा पिथौरागढ़ से चौपर ने उड़ान भरी और सात रेस्क्यू टीम को कठेलिया में उतारा।

उसी दिन पैदल टीम भी वहां पहुंची। 25 को 13 सदस्यीय दल घटनास्थल पहुंचा। उन्होंने पांच शवों को देख लिया। एक बार फिर मौसम दगा दे गया। 26 को दो हेलीकॉप्टरों ने उड़ान भरी और देवीकुंड में बने अस्थायी हेलीपैड पर उतरे। यहां से पांच शवों को लेकर केदारेश्वर मैदान कपकोट पहुंचे।

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