देहरादून दिनांक 15 फरवरी 2021 (जि.सू.का), सिविल जज सी0डि0/ सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देहरादून नेहा कुशवाहा ने अवगत कराया है कि समाज के कमजोर, निर्धन एवं असहाय लोगों को न्याय से वंचित न होना पड़ें इसके लिये विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की नियमावली का गठन किया गया । इस अधिनियम के अन्तर्गत यह प्रावधान किया गया कि समाज के सभी ऐसे वर्ग जो निशुल्क कानूनी सहायता एवं परामर्श प्राप्त करने के वास्तव में हकदार है उन्हें आर्थिक समस्या का सामना न करना पड़े एवं वह अपने अधिकारों को प्राप्त कर सकें एवं समय पर उन्हें न्याय प्राप्त हो सकें। इसके तहत राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं राज्य स्तर पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं जिला स्तर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों एवं तहसील स्तर पर तहसील विधिक सेवा समिति का गठन किया गया। उक्त अधिनियम के अन्तर्गत राज्य प्राधिकरण या उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जिला प्राधिकरण एवं ताल्लुक प्राधिकरण में प्रत्येक व्यक्ति जिनका कोई मामला विचाराधीन है या दायर करना है उन मामलांे में निम्नलिखित पात्र व्यक्तियों को कानूनी सेवाएं देने के मानदण्ड निर्धारित किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि निःशुल्क विधिक सहायता के लिए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सभी नागरिक, संविधान के अनुच्छेद-23 में वर्णित मानव दुव्र्यव्हार/बेगार के शिकार व्यक्ति, सभी महिलाएं एवं बच्चे, सभी विकलांग एंव मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति, बहुविनाश, जातीय हिंसा, जातीय अत्याचार, बाढ़, सूखा एंव भूकम्प या औघोगिक क्षेत्र में संकट जैसे देवीय आपदा से पीड़ित व्यक्ति, औघोगिक क्षेत्र में कार्य करने वाले सभी मजदूर, जेल/कारागार/संरक्षण गृह/किशोर गृह एवं मनोचिकित्सक अस्पताल या परिचर्या गृह मंे निरूद्ध सभी व्यक्ति, भूतपूर्व सैनिक, किन्नर समुदाय के व्यक्ति, वरिष्ठ नागरिक,एड्स से पीड़ित व्यक्ति एवं सभी ऐसे व्यक्ति जिनकी समस्त स्रोतांे से वार्षिक आय 03 लाख रू0 तक हो इस हेतु पात्र हैं।
उन्होंने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में जिला न्यायाधीश पदेन अध्यक्ष होते है एवं सिविल जज (सी0डि0) सचिव होते हैं जो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के समस्त लेखों अभिलेखों व निधियों का सही व समुचित रूप से रख-रखाव एवं अन्य सभी कार्य जैसे विधिक सहायता, विधिक परामर्श तथा विधिक सेवाओं सम्बंधी नितियों, कार्यक्रमों एवं योजनाओं का प्रर्वतन करेंगे। इसके अतिरिक्त जिला प्राधिकरण में उपनियम (3) के अधीन नामित सदस्यों के अतिरिक्त जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अथवा पुलिस अधीक्षक, यथास्थिति, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल), जिला शासकीय अधिवक्ता (अपराध),जिला शासकीय अधिवक्ता (राजस्व, जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पदेन सदस्य भी होते हैं जो जिला प्राधिकरण के प्रशासनिक एवं अन्य कार्यों को करने में सहयोग करते हैं।
उन्होनंे बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा ़समय-समय पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार लोक अदालत में निपटाये जाने योग्य सभी प्रकार के मामलों के लिये तहसील स्तर पर और जिले में लोक अदालतें तथा विधिक एवं चिकित्सा साक्षरता शिविरों का आयोजन, जिला स्तर पर न्यायिक अथवा अद्र्वन्यायिक कृत्यों का प्रयोग करने के लिए तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन किसी दायर किए गये या दायर किये जाने वाले सिविल, आपराधिक मामलें में या प्रतिवाद के लिये विधिक सहायता, विधिक परामर्श, विधिक साक्षरता तथा अन्य विधिक सेवाएं प्रदान करना, विशेषकर मुख्यतः अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा समाज के दुर्बल वर्गों के बाहुल्य वाले क्षेत्रों मे विधिक/चिकित्सा साक्षरता शिविरों का आयोजन, किसी व्यक्ति, किसी संस्था अथवा समाज के दुर्बल वर्गों, विशेषकर महिलाओं, बच्चों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों और विचारण अधीन व्यक्तियों की सेवा में सेवारत व्यक्ति, संस्था अथवा संगठनों के माध्यम से अथवा स्वयं समझौता कार्य का क्रियान्वयन एवं समन्वय, केन्द्रीय प्रधिकरण और राज्य प्राधिकरण के निर्देशों के अनसार सभी क्षेत्रों में विधिक सहायता, विधिक परामर्श, विधिक साक्षरता तथा अन्य सेवाओं के कार्यक्रमों और योजनाओं का संचालन एवं समन्वय जिसमें विधि के क्षेत्र अथवा अन्यथा किसी क्षेत्र में समान अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से विधिक/चिकित्सा साक्षरता शिविरों का आयोजन भी शामिल है, निर्धन और समाज के दुर्बल वर्गों के लिए विधिक सेवाओं के प्रोत्साहन सम्बंधी कार्य करने वाले अन्य सरकारी और गैर सरकारी संगठनों, विश्वविद्यालयों तथा अन्य संस्थाओं/संगठनों और व्यक्तियों के साथ समन्वय, केन्द्रीय प्राधिकरण और राज्य प्राधिकरण की नीतियों और कार्यक्रमों का क्रियान्वयन। इसके अतिरिक्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा जनता को जागरूक किये जाने एवं उनकी सहायता हेतु राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार प्रत्येक जनपद में जैसेः थानों, पंचायतघरों, राजकीय अस्पतालांे, लाॅ कालेजों, आदि मेे लीगल एड क्लीनिक की स्थापना की गयी है जिनमें पराविधिक कार्यकर्तागण एवं नामिका अधिवक्तागण की नियुक्ति की जाती है जो वहाॅ पर उपस्थित होने वाले व्यक्तियों की समस्याओं का निवारण करते हैं। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा सभी न्यायालयों से प्राप्त प्रार्थनापत्रों में मध्यस्थता हेतु मध्यस्थों की नियुक्ति की गयी है जो नियमानुसार पक्षकारों में मध्यस्थता कराकर वादों को निस्तारित किये जाने का प्रयास किया जाता है ताकि सौहार्दपूर्ण वातावरण में आपसी समझौता कर पक्षकार खुशी-खुशी जा सकें व उनमें मन-मुटाव न हो। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार जनपद देहरादून में LegalAid Defence Councel System का गठन किया गया है जो सभी सेशन न्यायालयों में अभियुक्त की ओर से पैरवी करेंगे। माननीय उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल द्वारा उत्तराखण्ड के सरकारी कार्यालयों व न्यायालयों से सम्बंधित कानूनी सहायता हेतु आॅफलाईन सुविधा के अतिरिक्त आॅनलाईन सुविधा भी उपलब्ध करायी जाती है, जिसके सम्बंधित व्यक्ति राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली की नियमावली के अनुसार खुद पोर्टल में लाॅगइन कर प्रार्थनापत्र प्रेषित कर सकता है। पोर्टल हिन्दी व अंग्रेजी दोनों माध्यमों में उपलब्ध है। यह सुविधा आॅफलाइन भी मिलेगी एवं पात्र व्यक्ति NALSA Legal Services ManagementSystem (LSMS) Online Portal पर जाकर प्रार्थनापत्र प्रेषित कर सकते हंै।
उन्होंने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को अपनी समस्या के निवारण हेतु अन्यथा निशुल्क विधिक सहायता हेतु आवश्यकता हो तो वह जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून के दूरभाष नम्बर 0135-2520873 एवं ई0मेल- dlsa-deh–uk@nic.in पर सम्पर्क कर सकता है तथा श्रीमती लता राणा रिटेनर लाॅयर 9897444742, सुश्री सुनिता सिंह पराविधिक कार्यकर्ता 8279506728, श्रीमती शमीना सिद्दकी पराविधिक कार्यकर्ता 9411564547 से भी सम्पर्क किया जा सकता है।
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